बली हाल का किराया कम हो और सुविधाएं की जाएं बहाल, संस्कृति मंत्री को ज्ञापन सौंपने की तैयारी मे आर्टिस्ट फोरम

Update: 2025-06-26 11:47 GMT


लखनऊ, 26 जून। कलाकारों के रंगतीर्थ राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह खुलने की पूर्व वेला पर हर्ष व्यक्त करते हुए आज आर्टिस्ट फोरम उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधियों ने भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलसचिव को प्रेक्षागृह का किराया कम करने, जयशंकर प्रसाद सभागार पहले की भांति कम किराये पर उपलब्ध कराने और अतिथि कक्ष, गुलाबबाई कक्ष इत्यादि की पूर्वाभ्यास व्यवस्था बहाल करने के लिये पत्र सौंपा। फोरम की तैयारी कल संस्कृति मंत्री को कलाकारों के हित में इस सम्बंध में ज्ञापन सौंपने की है।

फोरम का मानना है किं प्रदेश सरकार के अधीन संस्कृति विस्तार के लिए काम कर रही कला संस्कृति के संस्थानों का काम धन कमाना नहीं, कलाओं को प्रश्रय और प्रोत्साहन देना और नयी पीढ़ी में अपनी परम्पराओं और संस्कृति के प्रति संस्कारित व शिक्षित करना है। फोरम के संयोजक प्रभात मिश्र के साथ प्रतिनिधियों वरिष्ठ अभिनेता नरेन्द्र पंजवानी और संगीतकार सोनी त्रिपाठी ने डा.सृष्टि धवन से मुलाकात कर कलाकारों की समस्याओं से अवगत कराते हुए पूर्व की भांति किराया तीन हजार रुपये से बढ़ाकर कलाकारों और पंजीकृत संस्थाओं के लिए अधिकतम ड्योढ़ा ही रखे जाने का अनुरोध किया। संयोजक प्रभात मिश्र से बताया कि बली हाल मार्च 2020 से अबतक कलाकारों के लिये अनुपलब्ध था, तब इसका किराया वातानुकूल के साथ कुल तीन हजार रुपये ही था। बली प्रेक्षागृह को विशेष रूप से रंगकर्मियों के लिए समर्पित करते हुए विश्व रंगमंच दिवस पर 27 मार्च 1987 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह ने उद्घाटित किया था। रंगकर्म को प्रोत्साहित करने के नाते तब पंजीकृत रंग संस्थाओं के लिये बली प्रेक्षागृह का किराया मात्र डेढ़ सौ और वातानुकूलन किराए पर मात्र तीन सौ रुपये रखा गया था। उन्होंने बताया कि कला संस्थाओं को पूर्वाभ्यास के लिए नौटंकी कलाकार गुलाबबाई के नाम पर गुलाब बाई कक्ष भी चार चार घंटे की तीन शिफ्टों में मात्र एक सौ रुपये प्रति शिफ्ट प्रति दिन के किराए पर उपलब्ध होता था। यह सुविधा भी रंगकर्म प्रोत्साहन के नाते पुनः अधिकतम डेढ़ सौ रुपये सस्ती दरों पर बहाल की जानी चाहिए।

उन्होंने बताया कि बली कला परिसर में रंग संस्थाओं को परिसंवाद संगोष्ठी, सेमिनार आदि के आयोजन के लिए प्रोजेक्टर और माइक्स आदि की सुविधा के साथ 70-75 लोगों की क्षमता वाला जयशंकर प्रसाद सभागार मात्र डेढ़ हजार रुपए के किराये पर उपलब्ध होता था। मरम्मत के लिए बंद होने के दौरान ही उक्त प्रसाद सभागार भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय को हस्तांतरित हो गया और मरम्मत के बाद तैयार होने के बावजूद रंगकर्मियों का हक़ मारकर आज तक रंगकर्मियों और रंग संस्थाओं को उपलब्ध नहीं कराया जा रहा। कुलसचिव से निवेदन के उपरांत हम संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह को हम ज्ञापन सौंपने जा रहे हैं।

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