डीडीयू जंक्शन पर वेंडिंग माफिया का कब्जा! सीएसजी की शह पर सीनियर डीसीएम भी मौन,भ्रष्टाचार की रेलगाड़ी बेलगाम....

Update: 2025-06-25 02:46 GMT


विशेष रिपोर्ट: ओ पी श्रीवास्तव संग मोहम्मद अफजल....

चंदौली/डीडीयू जंक्शन: डीडीयू जंक्शन यात्रियों के लिए जितना बड़ा नाम, उतनी ही बड़ी सच्चाई इसके भीतर पल रहे भ्रष्टाचार के नेटवर्क की है। रेलवे के नियम, प्रक्रियाएं और पारदर्शिता के दावे इस जंक्शन पर दम तोड़ दे रहें हैं। ताजा मामला वेंडिंग और कैटरिंग से जुड़ा है। एक संगठित गिरोह की भांति चल रहे इस धंधे के क्रियान्वयन के गोरखधंधे में 28 वैध लाइसेंसों के सहारे 120 से ज्यादा वेंडर प्लेटफार्मों पर कारोबार कर रहे हैं, और यह सब सीएसजी के संरक्षण में फल - फूल रहा है। मामले की शिकायत रेलवे बोर्ड और जोनल स्तर तक पहुंचने के बावजूद मंडल स्तर पर कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई, जिसके कारण यह गोरखधंधा अपनी द्रुतगामी गति से जारी है। यही कारण है कि सीएसजी और उनके गठजोड़ में शामिल अधिकारी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहें हैं।

सूत्रों की बात करें तो डीडीयू मंडल में वर्षों से तैनात सीएसजी का दबदबा इस कदर है कि सीनियर डीसीएम भी उनके इशारे पर काम करने को मजबूर हैं। जब उनसे वेंडिंग या कैटरिंग की अनियमितताओं पर सवाल किए जाते हैं, तो वे इसे कार्मिक विभाग का विषय बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं।

एक आरटीआई उत्तर के अनुसार, वेंडिंग लाइसेंसधारी रामा केसर इंटरप्राइजेज को 2024 से 27 तक के लिए लाइसेंस मिला है। लेकिन इसकी आड़ में अन्य प्लेटफार्मों पर भी अलग - अलग नामों से संचालन जारी है। सूत्रों की माने तो इन अवैध वेंडिंग स्टालों से हर महीने लाखों रुपए की अवैध उगाही की जाती है, जिसका बांट होने के बाद संबंधित अधिकारियों तक उनका हिस्सा पहुंचता है। इन वेंडिंग स्टालों से प्रतिबंधित वस्तुएं जैसे कि कुल्हड़ वाली लस्सी, आमलेट, अंडे आदि की बिक्री खुलेआम होती है। जबकि रेलवे के नियमों के अनुसार प्लेटफार्मों पर चाय के अलावा कुछ भी पकाने की अनुमति नहीं है। इतना ही नहीं इन अवैध वेंडिंग स्टालों पर समोसे, आलूबाड़ा, पराठा जैसी खाद्य सामाग्री खुले में धड़ल्ले से बिक्री होते सहज दिख जाएगी।

आपको बता दें कि रेलवे विभाग द्वारा जारी एनेक्सचर - ए में साफ - साफ उल्लेखित है कि प्रत्येक प्लेटफार्म पर किन - किन स्टालों को कितने लाइसेंस मिले हैं। लेकिन जमीनी हकीकत इतर है - एक ही स्टाल पर कई अवैध वेंडर बैठे हैं, कई प्लेटफार्मों पर बिना अनुमति स्टाल चलाए जा रहें हैं। एक ही ठेकेदार, कई जगहों पर अलग - अलग नामों से संचालन कर रहें हैं, प्रतिबंधित वस्तुएं जैसे अंडा, आमलेट, कुल्हड़ वाली लस्सी की बिक्री खुलेआम जारी है। यह कृत्य दर्शाता है कि लाइसेंस सिर्फ कागज़ों पर है, असली नियंत्रण वसूली नेटवर्क के पास है।

विदित हो कि डीडीयू जंक्शन पर भ्रष्टाचार की इंतहा और आरोपों की झड़ी का यह पहला वाक्या नहीं है। कुछ दिनों पूर्व सीबीआई ने इस मंडल के कार्यालय पर छापा मारा था और कई अनियमितताएं उजागर हुई थीं। बावजूद इसके, जिन अफसरों पर सवाल थे, वे आज भी कुर्सियों पर टीके हैं। अब सवाल ये है - क्या रेलवे बोर्ड इस मामले में कोई संज्ञान लेगा या फिर यह रिपोर्ट भी बाकी फाइलों की तरह धूल फांकती रह जाएगी?

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