चंदौली में बाल श्रम के खिलाफ सख्त कार्रवाई, पाँच किशोर मुक्त – संचालकों को चेतावनी

Update: 2025-06-25 02:32 GMT

 

रिपोर्ट: ओ पी श्रीवास्तव, चंदौली

चंदौली, उत्तर प्रदेश। जिले में बाल श्रम उन्मूलन को लेकर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए मंगलवार को एक व्यापक अभियान चलाया। श्रम प्रवर्तन अधिकारी श्री चंद्र प्रकाश के नेतृत्व में चलाई गई इस छापेमारी मुहिम के दौरान चार अलग-अलग प्रतिष्ठानों से पाँच किशोर श्रमिकों को कार्य करते हुए मुक्त कराया गया।

अभियान का उद्देश्य 14 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों को श्रम से मुक्त कराना और बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 1986 के तहत सभी प्रतिष्ठानों को जागरूक करना था। श्रम विभाग ने कार्यस्थलों पर जाकर किशोरों की स्थिति, कार्य की प्रकृति और उनके उम्र संबंधी दस्तावेजों की जांच की। जांच में पुष्टि होने पर किशोर श्रमिकों को तुरंत मुक्त कर उनके पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू की गई।

संचालकों को दी गई चेतावनी, भविष्य में कार्रवाई होगी सख्त

छापेमारी के दौरान संबंधित प्रतिष्ठान संचालकों को विधिक जानकारी देते हुए सख्त चेतावनी दी गई कि यदि भविष्य में उनके यहाँ किशोर अथवा बाल श्रमिक कार्यरत पाए गए, तो उनके विरुद्ध बाल श्रम निषेध अधिनियम, बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत विधिक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उन्हें यह भी बताया गया कि बाल श्रम केवल अपराध ही नहीं, बल्कि समाज के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।

इस महत्वपूर्ण अभियान में श्रम विभाग के साथ-साथ विभिन्न संगठनों और सुरक्षा इकाइयों की भागीदारी रही। AHTU (एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट), चंदौली से राघवेंद्र सिंह, स्वयंसेवी संगठन से रामजी दुसीया, ग्राम स्वराज समिति से सौरभ सिंह एवं जुनैद खान, तथा बचपन बचाओ आंदोलन से राकेश यादव ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया।इन संगठनों ने न केवल अभियान में सहयोग किया, बल्कि मुक्त कराए गए किशोरों की काउंसलिंग, शिक्षा एवं पुनर्वास की दिशा में जरूरी पहल करने की बात कही। संबंधित किशोरों को शीघ्र ही सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता योजनाओं से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

श्रम प्रवर्तन अधिकारी श्री चंद्र प्रकाश ने कहा कि बाल श्रम हमारे समाज के लिए एक गंभीर चुनौती है। हम सभी की जिम्मेदारी है कि बच्चों को शिक्षा और सुरक्षित भविष्य दें, न कि उन्हें श्रम के दलदल में झोंकें। यह अभियान एक शुरुआत है और इसे निरंतर जारी रखा जाएगा।उन्होंने यह भी अपील की कि यदि किसी को कहीं बाल या किशोर श्रमिक काम करते दिखें, तो वे तुरंत श्रम विभाग को सूचित करें।

बाल श्रम न केवल बच्चों के बचपन और शिक्षा के अधिकार को छीनता है, बल्कि उन्हें शोषण, बीमारियों और अपराधों के जोखिम में भी डालता है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और भारतीय कानूनों के अनुसार, 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों से काम कराना पूरी तरह प्रतिबंधित है और 14 से 18 वर्ष के किशोरों को भी खतरनाक कार्यों में लगाना अवैध है।

चंदौली जैसे औद्योगिक और व्यापारिक क्षेत्रों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है, जहां होटल, वर्कशॉप, ढाबा और दुकानों में अक्सर बाल श्रमिकों को नियोजित किया जाता है। ऐसे में प्रशासन की यह पहल न केवल कानून का पालन कराने की दिशा में, बल्कि सामाजिक चेतना जगाने का भी प्रयास है।

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