रेलवे परिसर में अवैध ऑटो स्टैंड बना उगाही का अड्डा, जिम्मेदार अधिकारी साधे हैं चुप्पी...

Update: 2025-05-29 01:42 GMT


रिपोर्ट: ओ पी श्रीवास्तव संग मोहम्मद अफजल...

चंदौली/ पीडीडीयू नगर: खबर जनपद चंदौली से है जहां पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर (डीडीयू) रेलवे स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में स्थित पार्सल ब्रिज के पास वर्षों से संचालित अवैध ऑटो स्टैंड एक बार फिर सुर्खियों में है। बिना किसी टेंडर या वैधानिक अनुमति के चल रहे इस स्टैंड को लेकर न सिर्फ रेलवे प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि इसमें सुरक्षा एजेंसियों और अफसरों की मिलीभगत की बू भी आ रही है।रेलवे परिसर में ऐसे अवैध स्टैंड का संचालन नियमों का खुला उल्लंघन है, लेकिन अफसोसजनक बात यह है कि जब यह मामला बार-बार उजागर हो रहा है, तब भी विभागीय अफसर चुप्पी साधे हुए हैं। न कोई स्पष्टीकरण, न कोई कार्रवाई।

न टेंडर, न रजिस्ट्रेशन – फिर भी चलता धंधा

जानकारी के मुताबिक रेलवे के पास इस ऑटो स्टैंड का न कोई टेंडर रिकॉर्ड है, न ही कोई वैध अनुबंध। बावजूद इसके, प्रतिदिन 100 से अधिक ऑटो यहां से यात्रियों को ले जाते हैं। पहले जहां सिर्फ 26 ऑटो को सीमित अनुमति दी गई थी, आज यह संख्या चार गुना से अधिक हो चुकी है।

चौंकाने वाली बात यह है कि जैसे ही कोई वरिष्ठ अधिकारी स्टेशन का निरीक्षण करने आता है, इस स्टैंड को अस्थायी रूप से हटा दिया जाता है, जिससे साफ जाहिर होता है कि रेलवे प्रशासन इस अवैध गतिविधि से भली-भांति अवगत है, परंतु कार्रवाई के बजाय मौन साधे हुए है।

रेलवे सूत्रों की मानें तो इस अवैध स्टैंड से होने वाली आय का एक हिस्सा कथित रूप से RPF के कुछ अधिकारियों, कमर्शियल विभाग के सुपरवाइजरों और GRP के कर्मियों तक पहुंचता है। आरपीएफ के एक अधिकारी अशोक यादव और एक अन्य बबलू नामक व्यक्ति पर इस उगाही तंत्र का संचालन करने का आरोप है।

रेल संपत्ति पर अवैध कब्जा, लेकिन विभाग मौन

प्रत्येक वर्ष रेलवे की सर्कुलेटिंग एरिया की भूमि पर पार्किंग और वैध स्टैंड के लिए टेंडर प्रक्रिया होती है, लेकिन यह अवैध स्टैंड वर्षों से बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के संचालन में है। इससे रेलवे को हर साल लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।जब कार्रवाई करने वाली संस्थाएं ही मौन हो जाएं, तो सवाल उठना लाजिमी है। यह मामला अब न केवल रेलवे की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा करता है, बल्कि यात्री सुरक्षा, सरकारी संपत्ति की रक्षा और राजस्व की चोरी जैसे गंभीर पहलुओं को भी उजागर करता है।

हालांकि मामला सुर्खियों में आने के बाद महकमें में हलचल तो बढ़ी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है। ट्विटर हैंडल पर ईस्ट रेलवे की आरपीएफ टीम ने कंप्लेन दर्ज कर डीडीयू मंडल के वरिष्ठ अधिकारियों को मामला संज्ञान में लेकर आवश्यक कार्रवाई अमल में लाने की नसीहत दी है ।अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या रेलवे बोर्ड और संबंधित जांच एजेंसियां इस गम्भीर मामले में हस्तक्षेप करेंगी या फिर यह मामला भी 'फाइलों' में दबा रह जाएगा।




 


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