प्रयागराज माघ मेला : मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा पर रोक, सपा नेता माता प्रसाद पांडे की तीखी प्रतिक्रिया
रिपोर्ट : विजय तिवारी
प्रयागराज में आयोजित होने वाले माघ मेले को लेकर इस बार सियासी और सामाजिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी के संस्थापक एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा को माघ मेले में स्थापित करने पर मेला प्राधिकरण ने रोक लगा दी है। इस निर्णय के बाद यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।
मेला प्राधिकरण ने मुलायम सिंह यादव स्मृति सेवा संस्थान को नोटिस जारी कर कहा है कि माघ मेला एक पारंपरिक धार्मिक आयोजन है और प्रतिमा स्थापना को साधु-संतों ने परंपराओं के विरुद्ध बताया है। इसी आधार पर आयोजकों से जवाब मांगा गया है और प्रतिमा लगाने की अनुमति नहीं दी गई है।
1 जनवरी को होना था लोकार्पण, पहले ही जारी हो गया नोटिस
जानकारी के अनुसार, एक जनवरी को संगम नगरी प्रयागराज में मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा का लोकार्पण प्रस्तावित था। इसके लिए स्मृति सेवा संस्थान द्वारा माघ मेले में एक शिविर भी लगाया जा रहा है। लेकिन कार्यक्रम से पहले ही मेला प्रशासन की ओर से नोटिस जारी कर दिया गया, जिससे आयोजन पर रोक लग गई।
“सरकार को नेताजी से क्या खुन्नस है?”
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे ने सवाल उठाया कि सरकार को आखिर नेताजी से क्या खुन्नस है। उन्होंने कहा कि उनकी शिविर के संचालक संदीप यादव से बात हुई है, जिन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से साफ कहा गया है कि शिविर में न तो मूर्ति लगाई जा सकती है, न दूध बांटा जा सकता है और न ही गाय रखी जा सकती है। इन्हीं शर्तों पर शिविर के लिए जगह दी गई है।
नोटिस पर सपा का जवाब, प्रशासन से बातचीत की तैयारी
माता प्रसाद पांडे ने कहा कि मेला प्रशासन को उनकी ओर से जवाब भेज दिया गया है और अब आगे क्या होता है, यह देखा जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह स्वयं प्रयागराज जाकर प्रशासन से बात करेंगे और पूछेंगे कि नेताजी की मूर्ति से आखिर आपत्ति क्या है। उनका कहना है कि माघ मेले और कुंभ जैसे आयोजनों में पहले भी बड़े-बड़े नेताओं के कट-आउट लगाए जाते रहे हैं। ऐसे में कट-आउट और मूर्ति में कोई बुनियादी फर्क नहीं है।
“लाखों श्रद्धालु नेताजी को मानते हैं”
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि पिछले कुंभ मेले में भी कई नेताओं के कट-आउट लगे थे और उस समय किसी ने आपत्ति नहीं जताई। यदि मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा लग जाती तो इसमें गलत क्या होता। उनके लाखों समर्थक और श्रद्धालु हैं, जो स्नान के बाद वहां जाकर मूर्ति के दर्शन करते, प्रणाम करते। इसके साथ कार्यकर्ताओं द्वारा नाश्ता-पानी और दूध वितरण जैसी सामाजिक गतिविधियां भी की जातीं, जो किसी भी तरह से अनुचित नहीं हैं।
“कैंप, कट-आउट और मूर्ति में कोई फर्क नहीं”
माता प्रसाद पांडे ने कहा कि माघ मेले में हर वर्ग के लोग अपने-अपने कैंप लगाते हैं। साधु-संतों के भी शिविर होते हैं और वे भी अपने प्रतीक, तस्वीरें या कट-आउट लगाते हैं। ऐसे में मूर्ति और कट-आउट में फर्क करना समझ से परे है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब पिछले वर्षों में कोई विरोध नहीं हुआ, तो इस बार अचानक आपत्ति क्यों जताई जा रही है।
“हम राजनीतिक नहीं, सामाजिक कार्य कर रहे हैं”
सपा नेता ने कहा कि सभी धार्मिक मेलों में किसी न किसी रूप में राजनीतिक गतिविधियां होती रही हैं। राजनीतिक दलों के कैंप लगते हैं, मंच सजते हैं और समर्थकों से संवाद होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य कोई राजनीतिक गतिविधि करना नहीं है, बल्कि सामाजिक कार्य करना है—जैसे मूर्ति के माध्यम से श्रद्धांजलि देना, दूध पिलाना और भोजन कराना।
आगे की रणनीति पर फैसला पार्टी नेतृत्व करेगा
माता प्रसाद पांडे ने कहा कि शिविर के आयोजक संदीप यादव की ओर से नोटिस का जवाब दे दिया गया है, लेकिन अभी तक प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट उत्तर नहीं आया है। यदि प्रयागराज जाकर बातचीत के बाद भी अनुमति नहीं मिलती है, तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से चर्चा कर आगे की रणनीति तय की जाएगी।
प्रशासन का पक्ष
वहीं माघ मेला प्राधिकरण का कहना है कि साधु-संतों की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। प्रशासन के अनुसार, माघ मेला धार्मिक आस्था और परंपराओं से जुड़ा आयोजन है, इसलिए किसी भी ऐसी गतिविधि की अनुमति नहीं दी जा सकती, जिसे परंपराओं के विरुद्ध माना जाए।
प्रयागराज माघ मेले में मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा को लेकर प्रशासन और समाजवादी पार्टी के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। आने वाले दिनों में प्रशासन और सपा नेताओं के बीच होने वाली बातचीत के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि इस विवाद का समाधान किस दिशा में जाता है।