उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों के लिए बड़ी राहत - योगी सरकार का आदेश जारी, वर्षों से दूर तैनाती की मजबूरी खत्म, अब गृह क्षेत्र के स्कूल में पढ़ाने का मिलेगा अवसर
रिपोर्ट : विजय तिवारी
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के करीब डेढ़ लाख शिक्षामित्रों को बड़ी राहत देते हुए स्थानांतरण और तैनाती से संबंधित महत्वपूर्ण आदेश जारी किए हैं। लंबे समय से अपने गांव और घरों से दूर प्राथमिक विद्यालयों में सेवा दे रहे शिक्षामित्रों को अब अपने मूल विद्यालय या घर के नजदीकी स्कूल में सेवा का अवसर मिलेगा। इस फैसले से न केवल शिक्षामित्रों में खुशी की लहर है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में भी स्थिरता आने की उम्मीद बढ़ी है।
कई वर्षों से लंबित मांग को मिली मंजूरी
प्रदेश भर के शिक्षामित्र लगातार यह मांग कर रहे थे कि उन्हें उनके गृह जनपद, तहसील या ब्लॉक के नजदीक तैनाती दी जाए। कई शिक्षामित्र 10–15 साल से दूरस्थ इलाकों में कार्यरत थे, जिससे पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाने में कठिनाइयाँ होती थीं।
अब सरकार की स्वीकृति के बाद यह समस्या समाप्त होने जा रही है।
क्या कहते हैं नए आदेश?
शिक्षा विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार—
सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को शिक्षामित्रों की वर्तमान तैनाती, रिक्त पदों, और मूल विद्यालयों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
स्थानांतरण की प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी, ऑनलाइन आधारित और दस्तावेज़ीय प्रमाणों के साथ संचालित किया जाएगा।
जिन शिक्षामित्रों के जीवनसाथी सरकारी सेवा में हैं, उन्हें स्पाउस केस के तहत प्राथमिकता दी जाएगी।
स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं वाले शिक्षामित्रों का मामला भी संवेदनशील श्रेणी में रखा जाएगा।
शिक्षामित्रों को कैसे मिलेगा लाभ?
घर के पास तैनाती मिलने से दैनिक यात्रा का खर्च बचेगा।
परिवार के बीच रहने से मानसिक तनाव कम होगा, जिससे शिक्षण में गुणवत्ता बढ़ेगी।
विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति और शिक्षण समय में सुधार होगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की निगरानी और समुदाय से जुड़ाव मजबूत होगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “शिक्षामित्र दूर रहने की वजह से अक्सर आवागमन में समय और ऊर्जा खो देते थे। अब उन्हें स्थानीय तैनाती देकर शिक्षा व्यवस्था और मजबूत होगी।”
संगठनों ने फैसले को बताया ऐतिहासिक
प्रदेश के कई शिक्षामित्र संगठनों ने सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम न केवल शिक्षक हितैषी है बल्कि यह उनकी गरिमा और वर्षों की सेवा का सम्मान भी है। कई शिक्षामित्रों ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे “जीवन में आया बड़ा बदलाव” बताया।
अगले चरण में क्या होगा?
जिलों को भेजे गए प्रारूप के अनुसार शिक्षामित्रों की सूची तैयार होकर शासन को भेजी जाएगी।
रिक्त पदों और प्राथमिकता श्रेणी के आधार पर स्थानांतरण आदेश चरणबद्ध तरीके से जारी होंगे।
संभावना है कि पहली सूची जल्द ही प्रकाशित कर दी जाएगी और शिक्षामित्र नए सत्र से पहले अपने गृह क्षेत्र में कार्यभार संभाल सकेंगे।
प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर व्यापक असर
विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय मानव संसाधन प्रबंधन के लिहाज़ से बेहद सकारात्मक है।
शिक्षामित्रों को स्थिरता मिलेगी, विद्यालयों में शिक्षण कार्य सुचारु होगा और बच्चों की सीखने की गति पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
यह निर्णय न केवल शिक्षामित्रों के लिए राहत का पैगाम है, बल्कि प्रदेश के प्राथमिक शिक्षा ढांचे को अधिक मजबूत, व्यवस्थित और संवेदनशील बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।