महंत राममिलनदास की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु, सरयू नदी में दी गई जलसमाधि
अयोध्या। रामघाट स्थित रावत मंदिर के श्रीमंत महंत राममिलनदास जी महाराज का आकस्मिक निधन 10 अक्टूबर की रात्रि को संदिग्ध परिस्थितियों में हो गया। जब उन्हें तत्काल श्रीराम अस्पताल ले जाया गया, तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पुलिस प्रशासन द्वारा आवश्यक प्रक्रिया के तहत शव का पोस्टमार्टम कराया गया, जिसके उपरांत महंत जी का पार्थिव शरीर मंदिर को सौंप दिया गया। महंत जी की मृत्यु से अयोध्या के संत समाज, श्रद्धालु और शिष्यों में गहरा शोक व्याप्त है।
महंत श्री को साधु-संत परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार स्वरूप सरयू नदी में जलसमाधि दी गई।
यह प्रक्रिया रामनयनदास शास्त्री जी के निर्देशन में संपन्न हुई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में संत, महंत, भक्तगण व शिष्य उपस्थित रहे।
रामनयनदास शास्त्री जी ने मीडिया से बातचीत में कहा"महंत राममिलनदास जी एक सरल स्वभाव के, धर्मपरायण और सेवा भाव से ओतप्रोत संत थे। उनके नेतृत्व में रावत मंदिर में वार्षिक धार्मिक आयोजन भव्य रूप से संपन्न होते थे। मंदिर में आने वाले प्रत्येक भक्त व शिष्यों का वह स्नेहपूर्वक स्वागत करते थे। उनका यूँ अचानक जाना हम सभी के लिए अपूरणीय क्षति है।"
इस अवसर पर श्री महंत रामदास जी महाराज, महंत रमेशदास जी महाराज, बालकदास जी महाराज, पवनदास जी, अवधेश यादव, रामचंद्र सहित सैकड़ों श्रद्धालु, संत-महंत और धर्मगुरु उपस्थित रहे।
महंत राममिलनदास जी महाराज के योगदान को सदैव याद किया जाएगा।