समाजसेवी सुरेश यादव ने तीन दिवसीय सांप्रदायिक साैहार्द कबीर मेला का किया भव्य उद्घाटन
अयोध्या। श्री कबीर मठ जियनपुर, अयोध्याधाम में बुधवार को तीन दिवसीय सांप्रदायिक साैहार्द कबीर मेला का भव्य शुभारंभ किया गया। समाजसेवी सुरेश यादव ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया. महंत उमाशंकरदास जी महराज ने उनका स्वागत किया.
सर्वप्रथम सद्गुरु कबीर साहेब, कबीर मठ संस्थापक रामसूरत साहेब एवं निर्माणकर्ता उदार साहेब के चित्रपट पर माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन संग मेला का उद्घाटन हुआ। यह कबीर मेला स्वरूपलीन रामसूरत साहेब और उदार साहेब के पुण्य स्मृति में आयाेजित है।
इस कबीर मेला की घाेषणा 20 जून 2005 काे तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कबीर मंदिर परिसर से किया था। जिसे अब तक 20 वर्ष हाे गए हैं। जाे परंपरानुसार अनवरत रूप से चल रहा है। विचार गाेष्ठी में कबीर मेला के उद्घाटन कर्ता कासु साकेत महाविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रामचंदर वर्मा व मुख्य अतिथि जगतगुरु कबीर पंथाचार्य निर्मल साहेब महाराज सीवान बिहार ने कहा कि सदगुरु कबीर साहेब अखिल ब्रह्मांड के नायक थे। कबीर का अयोध्या में कबीर मेला लगना ही संपूर्ण श्रृष्टि के मर्यादा पुरूषाेत्तम प्रभु श्रीराम की धरती से एकता-अखंडता के लिए एक संदेश है। कबीर के राम जन-जन के भीतर हैं। इसीलिए सदगुरु कबीर ने कहा है कि पाेथी पढ़-पढ़ जग मुआ, पंडित भया न काेय। ढ़ाई आखर प्रेम का, पढ़े साे पंडित हाेय।। कार्यक्रम के आयाेजक एवं कबीर धर्म मंदिर सेवा समिति कबीर मठ जियनपुर कार्यवाहक अध्यक्ष महंत उमाशंकर दास ने कहा कि सदगुरु कबीर का विचार समाज के लिए एक दर्पण है। जिसमें व्यक्ति जैसा दिखना चाहता है। वैसा अपने आपको देखता है। कबीर साहेब मानवीय एकता के प्रतीक थे। उनका विचार आज अधिक प्रासंगिक है। कबीर मेला अयोध्या राष्ट्र ही नही वरन संपूर्ण दुनिया काे शांति और मानवता का संदेश देता है। विचार गाेष्ठी में मुख्य वक्ता कबीर विज्ञान आश्रम साेनभद्र के आचार्य विचार साहेब एवं केजीएमयू लखनऊ के प्राे. जितेंद्र राव ने कहा कि सदगुरु कबीर साहेब मुक्ति मार्ग के मूल स्राेत हैं। उनका दर्शन ब्रह्म के पार का है। वरिष्ठ अधिवक्ता उच्च न्यायालय लखनऊ एमबी सिंह, कबीर मंदिर सूरत गुजरात के महंत देवेंद्र साहेब, विशेष सचिव उत्तर प्रदेश राजेंद्र कुमार गाैतम और फक्कड़ बाबा सुल्तानपुर ने कहा कि सदगुरु कबीर काे युगदृष्टा कबीर कहते हैं। युग के परिमार्जन के लिए उन्होंने अपना उपदेश दिया। जिसका पूरा प्रभाव समाज पर पड़ा। कबीर साहेब ने केवल एक ही धर्म के लाेगाें काे नही। बल्कि हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई सभी धर्माें काे प्रभावित किया। वह निराकर के समर्थक थे। निराकार से सब कुछ उत्पन्न हाेता है। सदगुरु कबीर साहेब इतनी सत्य बात कहते थे कि काेई दूसरा इसकाे बना नही सकता था। इनके विचार धरातल से शुरू हाेते थे। वह माया का पूर्णता विराेध करते रहे। उनका कहना था कि अगर व्यक्ति में अभिमान आ जाए। ताे उसकाे निराकार ईश्वर की प्राप्ति हो ही नही सकती है। पूर्व सदस्य इस्पात मंत्रालय भारत सरकार जयेश वर्मा ने कहा कि कबीर साहेब ने राजतंत्र काल लाेकतांत्रिक व्यवस्था की जाे अलख जगाई। वह आज भी अधूरी है। गाेष्ठी में पूर्वांचल विकास बाेर्ड के सदस्य बाैद्ध अरविंद सिंह पटेल, गाैहर अली ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम के क्रम में सुबह बीजक का पाठ किया गया। सायंकाल सांस्कृतिक कलाकार विवेक पांडेय की टीम ने भजन संध्या का कार्यक्रम प्रस्तुत किए। संचालन कबीर धर्म मंदिर सेवा समिति जियनपुर के कार्यवाहक मंत्री संत विवेक ब्रह्मचारी ने किया। विचार गाेष्ठी में प्राे. अजय कुमार सिंह, डॉ. दिलीप सिंह, डॉ. बनाैधा, रविंद्र दास, हेमंत दास, पूर्व प्रधान गुरुचरण यादव, श्री भानु प्रताप वर्मा इंटर कालेज हनुमत नगर के प्राचार्य निर्मल वर्मा, समाजसेवी कृपाराम चाैधरी, साहबदीन चाैधरी, मनसुख भाई, युवराज दास, रामलाल दास, भुवनेश्वर दास, साहबदीन विश्वकर्मा, राधेश्याम दास, नरसिंह दास, फक्कड़ साहेब, खिलेंद्र दास, डॉ. अनूप जायसवाल, गाेविंद साहेब, रामअभिलाष वर्मा, अमरनाथ वर्मा, राकेश वर्मा, राजगाेपाल वर्मा, सुरेंद्र वर्मा, एडवोकेट एहतेशाम व संदीप पांडेय, बब्लू वर्मा, अशाेक वर्मा, प्रेम वर्मा, राजाराम वर्मा, गजराज यादव, अमरनाथ यादव, मुलायम यादव, अजीत यादव, अभिषेक यादव, पुष्कर यादव, रामनाथ वर्मा, डॉ. बालकराम विश्वकर्मा, साहबदीन विश्वकर्मा, रामनाथ माैर्या, मंशाराम वर्मा, ज्ञानचंद वर्मा, आदित्य पटेल, लल्लन, जाेखू यादव, रामस्वरुप व मुरारी साहेब नेपाल, अखिलेश यादव, विष्णु यादव आदि उपस्थित रहे।