दिन छोटे खुशियां बडी है।
आ बांट ले इसे थोड़ी थोड़ी।।
उलझनों को करके दरकिनार।
जीवन तो मुश्किलों से है भरी।।
ख़त्म कर तमाम गिले शिकवे।
बाहें फैलाकर इस्तकबाल कर।।
उन्मुक्त गगन में उड़ चले।
बेवजह ना ही कोई मलाल कर।।
दिन भी होंगे, ये रात भी होगी।
अधूरी ही सही, कोई बात होगी।।
थोड़े से गम, थोड़ी सी खुशी।
शिद्दत से हसरतें पूरी भी होगी।।
जिंदगी में ना हो जल्दबाजी।
ना ही कोई भी हड़बड़ी।।
लम्हें छोटे छोटे से आएं।
मगर खुशियां हो बड़ी बड़ी।।
अभय सिंह। ............