बापू के भरोसे निश्चिन्त बैठे पुरुष काट डाले गए....

Update: 2020-01-30 07:10 GMT

सन सैंतालीस में वर्तमान पाकिस्तान और बंग्लादेश के लगभग पच्चीस लाख हिन्दुओं को काट डाला गया था। सैकड़ों-हजारों नहीं, लाखों स्त्रियों के साथ अत्याचार हुआ... तब देश नहीं, देश की आत्मा काट डाली गई थी।

गाँधी कहते रहे कि मैं देश नहीं बंटने दूँगा। लाहौर, सिंध, बलूचिस्तान के हिन्दू गाँधी के भरोसे बैठे रहे कि बापू हैं तो हमारा अहित नहीं होगा। बापू देखते रह गए, देश बंट गया। बापू के भरोसे निश्चिन्त बैठे पुरुष काट डाले गए, स्त्रियों की छाती से आँचल खींच लिया गया... मुस्कुराता रहा माउंटबेटन, हँसता रहा जिन्ना, सर झुका कर बैठे रहे नेहरू-पटेल, रोते रहे गाँधी...

गांधी सबकुछ देख रहे थे। जब जब कोई व्यक्ति काटा जाता तो उन्हें लगता कि उनकी ही हत्या हुई है। जब-जब किसी बेटी के साथ अभद्रता हुई, गांधी को लगता कि उनका बलात्कार हुआ है। इस तरह सन उन्नीस सौ सैंतालीस में गाँधी लगभग 25 लाख बार मरे, और लाखों बार उनके साथ अभद्रता हुई...

आज के दिन जब नाथूराम की तीन गोलियों ने गाँधी को मारा, उसके बहुत पहले मर गए थे गाँधी। उस दिन बस यह अजीब हुआ कि गाँधी भारत विभाजन का सारा दोष अपने माथे पर ले कर चुपचाप निकल गए। उस अपराध का दोष, जो उन्होंने किया ही नहीं था।

यदि तब गाँधी मरे नहीं होते, दो चार वर्ष भी और जी गए होते, तो नेहरू भारतीय इतिहास के सबसे बड़े विलेन घोषित हो चुके होते। गाँधी मरे नहीं होते तो 1955 तक पूरी कांग्रेस उखड़ गयी होती... गाँधी ने मर कर उनकी रक्षा की... मुझे अब भी लगता है कि गाँधी की हत्या की खबर सुन कर नेहरू..... खैर छोड़िये! कुछ कहानियां न लिखी जाँय सो ही ठीक!

नमन महात्मा...

(तस्वीर विभाजन के समय की है... गूगल से...

सर्वेश तिवारी श्रीमुख

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