CAA हिंसा: यूपी सरकार की कार्रवाई में दखल देने से हाईकोर्ट का इनकार

Update: 2020-01-08 06:48 GMT

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में हुई हिंसा के बाद यूपी सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दखल देने से इंकार कर दिया है. अदालत ने कहा कि दूसरों के मूल अधिकारों के खिलाफ किसी को प्रदर्शन का अधिकार नहीं है. ट्रैफिक बाधित करना और एम्बुलेंस जैसी सेवाओं को रोकना और धारा 144 का उल्लंघन करने अधिकार का नहीं है.

हाईकोर्ट ने कहा कि अगर कार्रवाई मूल अधिकारों के खिलाफ नहीं है तो दखल देने का औचित्य नहीं बनता है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने लखनऊ के वकील रजत गंगवार की पीआईएल को खारिज कर दिया. अर्जी में दोषियों से नुकसान की वसूली की कार्रवाई को भी चुनौती दी गई थी. जस्टिस सुधीर अग्रवाल की डिवीजन बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई

उधर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विरोध कर रहे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के छात्रों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और बर्बरता के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को जांच का आदेश दिया है. कोर्ट ने एनएचआरसी को एक माह के अंदर एएमयू में छात्रों के साथ हुई बर्बरता की जांच पूरी कर फाइनल रिपोर्ट अदालत में पेश करने का भी आदेश दिया है.

कोर्ट के आदेश के तहत अब एनएचआरसी को एक माह के अंदर लोगों के बयान दर्ज करने के साथ ही साक्ष्य भी जुटाना होगा. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि हिंसा से प्रभावित लोग एनएचआरसी के सामने जा सकते हैं और अपना बयान भी दर्ज करा सकते हैं. एनएचआरसी की जांच पूरी होने के बाद अदालत में फाइनल रिपोर्ट दाखिल होने पर हाईकोर्ट इस मामले में फिर से सुनवाई करेगा. कोर्ट उसके बाद ही कोई आदेश भी पारित करेगा. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर और जस्टिस विवेक वर्मा की डिवीजन बेंच में हुई.

सबूत एनएचआरसी को एएमयू के छात्र दे सकते हैं

याचिकाकर्ता एएमयू के पूर्व छात्र मोहम्मद अमन खान के वकील कॉलिन्स गोंसाल्वेज़ के मुताबिक एएमयू की पीड़ित छात्रों के लिए ये एक बेहतर मौका कि वे अपनी शिकायतों को एनएचआरसी के जरिए हाईकोर्ट तक पहुंचा सकते हैं. उन्होंने कहा है कि 15 दिसम्बर को सीएए के विरोध में हो रहे शान्तिपूर्ण प्रदर्शन में पुलिस की बर्बरता पूर्ण कार्रवाई के खिलाफ भी एवीडेंस एनएचआरसी को एएमयू के छात्र दे सकते हैं. उनके मुताबिक पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से कैम्पस के अंदर घुसकर छात्रों का न केवल दमन किया है बल्कि उन्हें बुरी तरह से मारा पीटा भी गया है

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