हिंदीभाषी महासंघ वडोदरा द्वारा आयोजित महा रामलीला मंचन का दूसरा दिन- राम जन्म से पुष्प वाटिका तक दिव्य प्रसंगों की भावपूर्ण और भव्य प्रस्तुति
रिपोर्ट : विजय तिवारी
वडोदरा।
अयोध्या की आध्यात्मिक चेतना से अनुप्राणित वडोदरा की महा रामलीला में दूसरे दिन रामायण के प्रारंभिक एवं अत्यंत महत्वपूर्ण प्रसंगों का भव्य मंचन किया गया। मंच, प्रकाश, संगीत और सशक्त अभिनय के माध्यम से प्रस्तुत इन दृश्यों ने दर्शकों को त्रेता युग की अनुभूति करा दी और पूरा पंडाल जय श्रीराम के उद्घोष से गुंजायमान हो उठा।
राम जन्म और सीता जन्म से भक्तिमय शुरुआत
दूसरे दिन के मंचन की शुरुआत राम जन्म के दिव्य दृश्य से हुई। अयोध्या नगरी की सजीव झांकी, मंगल वाद्य, देवताओं की स्तुति और प्रजा के उल्लास ने वातावरण को पूरी तरह भक्तिमय बना दिया।
इसके पश्चात मिथिला में माता सीता के जन्म का प्रसंग प्रस्तुत किया गया, जहां जनकपुर की गरिमा, प्रकृति के उल्लास और सीता के दिव्य स्वरूप ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। यह दृश्य नारी शक्ति, पवित्रता और मर्यादा के आदर्श को प्रभावशाली ढंग से सामने लाता है।
महर्षि विश्वामित्र का आगमन और धर्म रक्षा का संदेश
इसके बाद महर्षि विश्वामित्र के अयोध्या आगमन का प्रसंग मंचित किया गया। यज्ञ की रक्षा हेतु राम-लक्ष्मण को साथ ले जाने का आग्रह, दशरथ की दुविधा और गुरु वशिष्ठ की मर्यादित भूमिका—इन सभी संवादों ने गुरु-शिष्य परंपरा और धर्म रक्षा के महत्व को गहराई से रेखांकित किया।
ताड़का वध : अधर्म पर धर्म की विजय
मंचन का एक सशक्त और रोमांचकारी दृश्य ताड़का वध रहा। ताड़का के आतंक, वन क्षेत्र का भयावह वातावरण और श्रीराम द्वारा अधर्म के विनाश का प्रसंग आधुनिक प्रकाश और ध्वनि संयोजन के साथ प्रस्तुत किया गया। यह दृश्य यह संदेश देता है कि समाज और धर्म की रक्षा के लिए अन्याय के विरुद्ध खड़ा होना ही सच्चा कर्तव्य है।
अहिल्या उद्धार : करुणा और मोक्ष का भाव
दूसरे दिन के मंचन का सबसे मार्मिक प्रसंग अहिल्या उद्धार रहा। प्रभु श्रीराम के चरण स्पर्श से अहिल्या का उद्धार, उनका पश्चाताप और मोक्ष—इस दृश्य ने करुणा, क्षमा और दैवी अनुकंपा का भाव दर्शकों के हृदय में गहराई से उतार दिया। मंच पर छाई शांति और दर्शकों की नम आंखें इस प्रसंग की भावनात्मक शक्ति को स्वयं बयान कर रही थीं।
पुष्प वाटिका : राम-सीता के प्रथम दर्शन
मंचन का समापन पुष्प वाटिका के अत्यंत मनोहारी दृश्य से हुआ। हरियाली, पुष्प सज्जा और मधुर संगीत के बीच श्रीराम और माता सीता के प्रथम दर्शन का यह प्रसंग दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। यही दृश्य आगे आने वाले धनुष यज्ञ और विवाह प्रसंग की भावनात्मक पृष्ठभूमि भी सशक्त रूप से तैयार करता है।
दर्शकों में उत्साह, कलाकारों की सशक्त प्रस्तुति
दूसरे दिन का मंचन भावनात्मक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत प्रभावशाली रहा। कलाकारों के सजीव अभिनय, संवादों की स्पष्टता, पारंपरिक वेशभूषा और मंचीय अनुशासन ने दर्शकों को पूरे समय बांधे रखा। प्रत्येक प्रमुख दृश्य के पश्चात तालियों, जयघोष और श्रद्धा से भरे नारों ने पंडाल के वातावरण को और अधिक ऊर्जावान बना दिया।
आस्था, संस्कार और संस्कृति का जीवंत संगम
महा रामलीला का यह दूसरा दिन यह स्पष्ट करता है कि यह आयोजन केवल एक नाट्य प्रस्तुति नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति, धर्म, मर्यादा और मानवीय मूल्यों को जनमानस से जोड़ने का सशक्त माध्यम है। राम जन्म से पुष्प वाटिका तक की यह कथा-श्रृंखला आने वाले दिनों में धनुष यज्ञ, विवाह, वन गमन और रावण वध जैसे महान प्रसंगों की भूमिका बनाते हुए दर्शकों की श्रद्धा और उत्सुकता को निरंतर बढ़ा रही है।
महा रामलीला के आगामी दिनों को लेकर दर्शकों में विशेष उत्साह और आध्यात्मिक उल्लास देखने को मिल रहा है।