वाराणसी- हरसोस गांव में शराब ठेका और शराबी ही बने थे हिंसा का कारण, शराबबंदी जरूरी
वाराणसी : गांव से शराब ठेका हटाने के लिए विगत 3 साल पहले सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता के आह्वान पर यहां के महिलाओं ग्रामीणों ने शराब ठेका पर बड़े पैमाने पर धरना प्रदर्शन करके गांव से उक्त शराब ठेका हटाने की मांग भी रखी थी जिस पर अगर समय रहते शासन प्रशासन चेता होता तो शायद इस तरह की घटना ना होती
ग्रामीणों पर पुलिसिया उत्पीड़न हुआ तो वही निर्दोषों को भी फंसाया गया
बता दें कि जंसा थाना क्षेत्र के उक्त गांव में बीते सोमवार की रात पुलिस की लापरवाही के कारण पुलिस पब्लिक आपस में भिड़ गए थे इसका फायदा उठाकर अपराधी फरार हो गए और अफवाहों का बाजार गर्म हो गया इस कारण दर्जनों से अधिक ग्रामीणों को गिरफ्तार कर लिया गया और सैकड़ों को पुलिस तलाश कर रही है। पुलिस यहां के ग्रामीणों को लगातार प्रताड़ित कर रही है निर्दोषों को जेल भेज रही है गांव में सन्नाटा पसरा है पुलिस तैनात है। गांव वाले भय के मारे घर छोड़कर इधर-उधर भटक रहे हैं हमारी अपील है शांतिपूर्ण तरीके से रहे।
ऐसी घटनाओं का स्थायी समाधान पूर्ण शराबबंदी ही है। शराबबंदी से ही हिंसा का सिलसिला रुकेगा। आम सहमति लेते हुए इस देश में न देसी चलेगी न ही विदेशी। शराब पीने से हिंसा की जिम्मेदारी से सरकार नहीं भाग सकती।
और हां अवैध शराब कैसे बनती है, कैसे बिक्री होती है। शराब ठेका रातों दिन अवकाश के दिन भी पुलिस संरक्षण में कैसे चलता है हर कोई जानता है। उक्त कृत्य, अवैध और जहरीली शराब इस पर पाबंदी लगाने का काम उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग का है। फिर भी अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं। पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठता। उक्त हिंसा के शिकार लोगों में वैसे लोग भी थे जो अपने घरों से इकलौते कमाऊ सदस्य क्या होगा उनके परिवार के बच्चों पति पत्नी माता पिता का भविष्य हैं।
रिपोर्ट:- राजकुमार गुप्ता वाराणसी