राम मंदिर निर्माण के लिए मोहम्मद मोईन की देश के मुसलमानों से भावुक अपील

Update: 2019-10-13 12:47 GMT

दोस्तों ....

अयोध्या विवाद पर फैसले की घड़ी अब नज़दीक आ गई है। सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के आख़िरी दौर में पहुंचते ही राम मंदिर निर्माण को लेकर देश का माहौल एक बार फिर गरम हो गया है और इसके चलते मुल्क के अमन - चैन व इंसानियत पर भी खतरा मंडराने लगा है। ऐसे में एक ज़िम्मेदार पत्रकार व अमन पसंद मुसलमान के साथ ही देशभक्त भारतीय नागरिक होने के नाते मैंने राम मंदिर निर्माण के लिए

"मिशन मंदिर फॉर कंट्री"

नाम से एक मुहिम की शुरुआत की है। अपनी इस मुहिम के तहत मैं देश के मुसलमानों से मंदिर निर्माण के लिए खुद आगे आकर इसकी हिमायत करने और अयोध्या से अपना दावा वापस लेकर मंदिर निर्माण में सहयोग करने की अपील करना चाहता हूं। मुझे उम्मीद है कि हमारे मुस्लिम भाई

"मिशन मंदिर फॉर कंट्री"

मुहिम की ज़रूरत को समझते हुए इससे जुड़कर न सिर्फ मंदिर निर्माण का समर्थन करेंगे, बल्कि बहुसंख्यक समुदाय के लोग भी इस मुहिम का हिस्सा बनकर देश में आपसी एकता व भाईचारे की अनूठी मिसाल पेश करने में अपना अहम योगदान देंगे।

आपको यह बताना ज़रूरी है कि मैं

"मिशन मंदिर फॉर कंट्री "

मुहिम की शुरुआत इसलिए कर रहा हूं, क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि अयोध्या में हर हाल में भगवान राम का मंदिर बनना ही चाहिए। इसकी एक नहीं, बल्कि तमाम वजहें हैं। इतना ही नहीं, हमारी यह भी सोच है कि अब अदालत के फैसले का इंतजार किये बिना ही देश के मुसलमानों को खुद आगे आकर राम मंदिर निर्माण की पहल करते हुए अयोध्या की विवादित जगह से अपना दावा वापस ले लेना चाहिए और बहुसंख्यक समाज की भावनाओं व उनकी आस्था का सम्मान करते हुए मंदिर निर्माण में आने वाली रुकावटों को भी दूर कर देना चाहिए।

"मिशन मंदिर फॉर कंट्री"

मुहिम के पहले चरण में मैं बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों को अपने साथ जोड़कर अयोध्या मामले के पक्षकार जनाब इकबाल अंसारी को यह संदेश देना चाहूंगा कि देश के ज़्यादातर मुसलमान अपना दावा वापस लेते हुए देशहित में राम मंदिर का निर्माण कराना चाहते हैं। दूसरे चरण में हम अपनी मुहिम से जुड़ने वाले सभी मुस्लिम भाइयों से मंदिर निर्माण में सहयोग करने के लिए एक -एक ईंट और एक- एक रूपये की मदद करने की अपील करेंगे। सोचिये, अगर देश के तकरीबन बीस करोड़ मुसलमान खुद आगे आकर अयोध्या में भगवान राम की जन्मस्थली पर भव्य राम मंदिर का निर्माण उसे अपने बहुसंख्यक भाइयों को समर्पित करें तो समूची दुनिया में गंगा -जमनी तहज़ीब का कितना बेहतर संदेश जाएगा।

"मिशन मंदिर फॉर कंट्री "

मुहिम के ज़रिये हम अपने भाइयों को यह बताना चाहेंगे इबादत तो कहीं भी की जा सकती है, पर किसी की जन्मस्थली यानी पैदाइश की जगह नहीं बदली जा सकती है। ऐसे में हमें सौ करोड़ से ज़्यादा हिन्दुओं की भावनाओं का सम्मान करना ही होगा। मुस्लिम भाइयों को यह सोचना होगा कि अगर कोर्ट का फैसला हमारे हक़ में नही आया तो फिर हम क्या कर सकते हैं और किस मुंह से दूसरे लोगों का सामना करेंगे। अगर हम अदालत में जीत भी गए तो क्या सौ करोड़ से ज़्यादा अपने हिन्दू भाइयों की भावनाओं और उनकी आस्था को ठेस पहुंचाकर हम उनके सामने जश्न मनाने का नैतिक साहस जुटा पाएंगे। हमारा मज़हब भी तो हमें ऐसा करने की इजाज़त नहीं देता। डर तो इस बात का भी है कि अदालत के फैसले के बाद देश के हालात कहीं फिर से न बिगड़ जाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि अदालत का फैसला किसी एक के ही हक़ में आएगा या फिर थोड़ी सी जगह का दो या तीन हिस्सों में बंटवारा कभी न ख़त्म होने वाले विवाद का बेवजह सबब भी बन जाएगा।

"मिशन मंदिर फॉर कंट्री "

मुहिम के ज़रिये हम लोगों को फिर से याद दिलाना चाहेंगे अयोध्या ही भगवान राम की जन्मस्थली है और बाबर ने विवादित जगह पर बाबरी मस्जिद तामील कराई थी। ऐसे में कोई सच्चा मुसलमान दूसरों का हक़ मारने के बाद कब्जा की हुई ज़मीन पर नमाज़ अदा भी नहीं करना चाहेगा। जिसकी ज़मीन है और ज़मीन के जिस टुकड़े के साथ सौ करोड़ से ज़्यादा लोगों की आस्थाएं जुडी हुई हैं, उसे असली लोगों के हाथों में वापस करना हमारी ज़िम्मेदारी भी है और वक्त का तकाज़ा भी। ऐसा करके हम किसी पर एहसान भी नहीं करने जा रहे हैं, क्योंकि यह कतई झुठलाया नहीं जा सकता कि भगवान राम का जन्म उसी जगह हुआ था।

हम मुसलमानों को यह भी याद रखना होगा कि दुनिया भर में भारत के ही मुसलमान सबसे ज़्यादा महफूज़ व अच्छी हैसियत में हैं। यहां हमें जितनी आज़ादी है, उतनी दुनिया के किसी मुल्क के मुसलमानों को नहीं है। पाकिस्तान व इंडोनेशिया जैसे मुल्कों में भी नहीं। ऐसा शायद ही दुनिया के किसी मुल्क में होता होगा, जहां अल्पसंख्यकों की लड़ाई उसे देश का बहुसंख्यक लड़ता हो, लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि आज वही बहुसंख्यक समाज यानी हमारे हिन्दू भाई अपने आराध्य भगवान राम की जन्मस्थली पर उनका मंदिर बनाने के लिए ताकत का इस्तेमाल किये बिना ही बेबस और लाचार बनकर अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहा हैं। सोचिये अगर, आज हिन्दू समाज क़ानून बनाकर या अध्यादेश लाकर या फिर मनमाने तरीके से ताकत के बल पर अयोध्या में मंदिर का निर्माण शुरू कर दे तो हम क्या कर सकते हैं, लेकिन अगर वह हमारे अक्लियत होने की कद्र कर रहे हैं तो हमें भी उनकी ज़रुरत और उनकी भावनाओं का सम्मान करना ही चाहिए। एक बात याद याद रखिये, नमाज़ कहीं भी पढ़ी जा सकती है। इबादत कहीं भी की जा सकती है, लेकिन किसी की जन्मस्थली नहीं बदली जा सकती और अयोध्या हिन्दू भाइयों के आराध्य भगवान राम की जन्मस्थली है, इसलिए वहां भगवान राम का मंदिर बनना ही चाहिए। राम ब्रह्म अवतार के साथ ही मर्यादा पुरुषोत्तम भी थे, लिहाज़ा वह हमारे लिए भी उतने ही आदर्श व प्रेरणास्रोत है, जितना सनातन धर्मियों के लिए हैं।

साथियों

"मिशन मंदिर फॉर कंट्री"

मुहिम चलाना इसलिए भी ज़रूरी है ताकि मंदिर - मस्जिद विवाद खत्म होने के बाद हम चुनावों के वक्त और उसके बाद अपने सियासी नुमाइंदों से मुद्दों पर बात कर सकेंगे और और उनकी जवाबदेही भी तय कर सकेंगे। इस मुहिम में हमें सिर्फ मुसलमानों का ही नहीं, बल्कि हर अमन पसंद और देशभक्त भारतीय का साथ चाहिए होगा। आपका समर्थन सिर्फ हमारी मुहिम और हमारे मिशन तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह भारत देश और इंसानियत को भी समर्पित रहेगा। आपसे गुजारिश है कि जाति - मज़हब और सियासी पार्टियों के जुड़ाव से अलग हटकर सिर्फ इंसानियत के नजरिये से देशभक्त मुस्लिमों द्वारा शुरू की जा रही "मिशन मंदिर फॉर कंट्री " नाम की हमारी इस मुहिम पर ज़रूर गौर करें राष्ट्रहित में शुरू की गई इस पहल से जुड़कर व इसका समर्थन कर देशहित में अपना महत्वपूर्ण योगदान ज़रूर दें। अगर हम मुसलमानों ने वक्त के तकाज़े को समझते हुए मंदिर निर्माण की पहल की तो हमारी यह पहल इतिहास के सुनहरे पन्नों में कैद हो जाएगा, वर्ना आने वाली पीढ़ियां हमारी नासमझी पर आंसू बहाने को मजबूर हो सकती हैं। अपनी थोड़ी सी समझदारी से हम इतिहास रच भी सकते हैं और अड़ियल रवैये से इतिहास बन भी सकते हैं। हमें अपने लिए नहीं, बल्कि मुल्क व इंसानियत के बारे में न सिर्फ सोचना होगा, बल्कि जल्द ही कुछ करना भी होगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही हमारे सोचने व फैसला लेने का वक्त खत्म हो जाएगा।

साथियों हमारी मुहिम

"मिशन मंदिर फॉर कंट्री " से जुड़ना बेहद आसान है। पहले चरण में आपको सिर्फ हमारे फेसबुक पेज, ट्विटर एकाउंट या इंस्टाग्राम एकाउंट को लाइक करने के बाद हमें फॉलो कर इस मुहिम का हिस्सा बन सकते हैं। हमारे फेसबुक ग्रुप से भी जुड़ सकते हैं। हमारी सोच से सहमत सभी जाति - धर्म व प्रांत के देशभक्त भारतीय नागरिक सिर्फ सोशल मीडिया पर लाइक - फॉलो व ज्वाइन कर इसका हिस्सा बन सकते हैं। "मिशन मंदिर फॉर कंट्री " के सोशल मीडिया एकाउंट की आपकी फॉलोइंग, ज्वाइनिंग व लाइक देश की एकता - अखंडता व मजबूती के लिए कितनी अहम होगी, इसे आप खुद बेहतर समझ सकते हैं। 

पत्रकार मोहम्मद मोईन

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