अमानवीयता की हदें पार, जाति के नाम पर भेदभाव, बेटे को साइकिल से ले जाना पड़ा मां का शव

Update: 2019-01-18 01:20 GMT

ओडिशा के एक गांव में यह साबित हो गया कि जाति के नाम पर भेदभाव खत्म होना तो दूर की बात है, अगर आप 'नीची जाति' से हैं तो मृत्यु के बाद भी आपको इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा। यहां 17 साल के एक किशोर को अपनी मां का शव साइकिल से ले जाना पड़ा क्योंकि वह नीची जाति से है और इस कारण किसी गांववासी ने उसकी मदद करने से मना कर दिया। अमानवीयता की हदें पार करती यह घटना ओडिशा के कर्पबहल गांव की है।

गांव की एक महिला जानकी सिंहानिया (45) पानी भरने के लिए गई थीं, जहां अचानक वह जमीन पर गिर गईं और उनकी मृत्यु हो गई। जानकी के पति की पहले ही मृत्यु हो चुकी थी। वह अपने मायके में अपने बेटे और बेटी के साथ रह रही थी। जानकी की मृत्यु के बाद गांव का कोई भी निवासी उसके अंतिम संस्कार में मदद के लिए आगे नहीं आया। इस पर जानकी के 17 वर्षीय बेटे सरोज ने अपनी मां के शव को साइकिल से ले जाने का फैसला किया। जानकारी के मुताबिक सरोज शव को साइकिल पर करीब 5 किलोमीटर तक ले गया और मां के शव को जंगल में कहीं दफन कर दिया।

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