जन्मदिन विशेष : शोषितों और वंचितों के हीरो 'छोटे लोहिया'

Update: 2018-08-05 03:56 GMT

समाजवादी आन्दोलन और छोटे लोहिया के नाम से विख्यात जनेश्वर मिश्र का जन्म आज के दिन ही हुआ था। वह जीवन पर्यन्त लोगों के विकास और भलाई के काम करते रहे।

खास तरीके से मनाया जाता था यह दिन

जनेश्वर मिश्र जब जीवित थे तब उनके जन्मदिन पर यह दिन खास तरीके से मनाया जाता था। आज के दिन संसद परिसर के आस- पास सभी जाति पाति के लोग एक साथ बैठ कर भोजन करते थे। यहां सबके लिए खुला आमन्त्रण था। इस मौके पर खास तौर पर कोई जरूरतमंदों की मदद की जाती थी।

आज के दिन बड़े दिग्गज नेता, अधिकारी व्यवसायी सभी पहुंचते थे लेकिन सबको वहां व्यवस्था के अनुरूप एक साथ भोजन करना पड़ता था।

दिल्ली स्थित राजेन्द्र प्रसाद मार्ग पर बारह नंबर बंगला लोहिया के नाम से जाना जाता था। राज्य के अन्य जगहों से आज के दिन कार्यकर्ताओं यहां आते थे। उन्हें दिल्ली घुमाने का इंतजाम स्वयं जनेश्वर मिश्र ही देखते थे। उनकी हर मदद के लिए वह सदा तैयार रहते थे।

शोषितों की आवाज थे छोटे लोहिया

इलाहाबाद में छात्र आन्दोलन से राजनीति में आये जनेश्वर मिश्रा ताउम्र लोहिया के समाजवाद को जीते रहे। शोषितों,पीड़ितों,गरीबों,मजलूमों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों की मदद के लिए हमेषा तैयार रहते थे। यही वजह थी कि अपने समकालीन सभी नेताओं से वह ज्यादा लोकप्रिय थे। पूंजीपतियों को वह खुले दिल से गरीबों की मदद करने के लिए प्रेरित करते थे।

सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई

एक तरफ वह पूरी मजबूती के साथ सरकार को समर्थन देते थे, लेकिन गलत सरकारी नीतियों पर जमकर सरकार का विरोध भी करते थे। संसद में वह बजट को हमेशा अंतिम आदमी के हित में बनाने पर जोर देते और अपनी दलीलों से वह अपनी बात मानव लेते थे।

एक बार बजट सत्र में बहस के दौरान उन्होंने कूड़ा बीनने वालों के पुनर्वास,स्वास्थ्य,शिक्षा के लिए किसी प्रकार की नीति ना होने को लेकर दुःख व्यक्त करते हुए लोकतंत्र के खोखले चरित्र को लेकर सरकार को लताड़ा।

किसानों के विकास के लिए आजीवन काम किया

किसानों के लिए सस्ते कैंटीन व्यवस्था को लेकर भी उन्होंने आवाज उठाई और उसे मूर्त रूप देने की दिशा में काम किया। किसानों के हित के लिए वह आजीवन कार्य करते रहे। जाति-धर्म से ऊपर उठकर उन्होंने हमेशा मानवता के लिए कार्य किया।

लोहिया और उसके बाद के समाजवादी परम्परा को आगे बढ़ाने के बाद उन्होंने मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ताउम्र वह समाजवादी पार्टी की नीतियों को किसान और वंचितों के विकास के अनुकूल बनाने में लगे रहे। युवाओं के भी वह आदर्श थे। 22 जनवरी 1990 में उनका निधन हो गया, लेकिन वह अपने ऊंचे आदर्शों के कारण अमर हो गए।

लखनऊ में विशाल जनेश्वर मिश्रा पार्क

अखिलेश यादव ने उनके महान व्यक्तित्व को देखते हुए लखनऊ में जनेश्वर मिश्र के नाम पर एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा जैव विविधता से परिपूर्ण पार्क स्थापित कराया और उनके राजनीतिक कद के अनुरूप आदमकद मूर्ति की स्थापना और उसी परिसर में अधिकतम ऊंचाई का राष्ट्रध्वज निर्मित किया गया है। 

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