पार्टी हाई कमान से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया कि परिणाम आने के बाद ही शाह ने पहले से तय कई कार्यक्रम निरस्त कर दिए। कुछ ज़रूरी लोगों से भी फ़ोन पर करने से इंकार कर दिया। शाह ने ज्यादातर समय पियूष गोयल और अपनी किचन कैबिनेट के नेताओं के साथ अहम विमर्श में खर्च किया । कहा जा रहा है कि यूपी में संगठन और सरकार के बीच गहराते मतभेद से शाह नाराज़ दिखे।
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह यूपी में संगठन के हाल और सरकार में मंत्रियों की मनमानी से खुश नहीं हैं। परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और एकाध अन्य मंत्रियों को छोड़ दें तो बाकि मंत्री अपने फायदे के अलावा संगठन के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं। शाह ये मानते है कि संगठन के महामंत्री सुनील बंसल भी जीत का भरोसा दिलाने में बार बार असफल हो रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही दिन रात मेहनत कर रहे हों लेकिन योगी भी सत्ता को वोट में बदल नहीं पा रहे हैं। शाह के पास ये भी रिपोर्ट है कि योगी और सुनील बंसल में शीतयुद्ध है। इस शीतयुद्ध के चलते यूपी, कई लॉबी में विभाजित हो चुका है। इसका सबसे बुरा असर पार्टी और कार्यकर्ताओं पर पड़ रहा है। ऐसी भी खबर है कि सुनील बंसल की जगह पार्टी कोई ईमानदार छवि वाला संघ का खांटी नेता ढूंढ रही है जिसके नेतृत्व में संगठन 2019 की तैयारी करे। उधर बंसल की लॉबी कह रही है कि संगठन के स्तर पर कोई कमी नहीं है। कमी अगर है तो योगी के नेतृत्व में है इसलिए उनके विकल्प की तलाश की जानी चाहिए।