गोरखपुर : 'गोरक्षपीठ' का दबदबा, जानिए किस चेहरे पर बीजेपी लगा सकती है दांव
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के द्वारा खाली हुई हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट गोरखपुर में बीजेपी प्रत्याशी को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. गोरक्षपीठ मंदिर का दखल पूर्वांचल में हमेशा से रहा है. पिछले 27 साल से बीजेपी इस सीट पर काबिज है. वहीं योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद सवाल ये खड़ा होता है कि बीजेपी किसी चेहरे को इस सीट से चुनाव मैदान में उतार सकती है. वे चेहरे कौन हो सकते है.
इन चेहरों पर बीजेपी खेल सकती है दांव
गोरखनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी बाबा कमलनाथ चूंकि दलित है उनके नाम पर सहमती बनाई जा सकती है. उनको आगे करके बीजेपी दलितों को संदेश दे सकती है. वहीं भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ला का नाम भी इसके लिए चर्चा में है. उनकी संगठन और कार्यकर्ताओं में अच्छी पकड़ है. ब्राह्मण चेहरा हैं. जो गोरखपुर से राज्यसभा सांसद और वर्तमान में केंद्र में मंत्री शिव प्रताप शुक्ला के बेहद करीबी बताए जाते है.
शाही बताते हैं कि इस परम्परागत सीट पर गोरक्षपीठ का दबदबा रहा है. इस सीट पर ठाकुर ही बीते 27 सालों से काबिज है. वहीं पूर्व गृहराज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद का नाम भी लोकसभा टिकट के लिए चर्चा में है. क्योकि वे दिग्विजय नाथ और अवैद्यनाथ के कार्यकाल में हमेशा मंदिर से जुड़े रहे. इसी बीच सबसे चौंकाने वाला नाम आया है महंत पंचानन पुरी जो गोरखनाथ मंदिर के करीबी और चचाई राम मठ के पंचानन पुरी के महंत है. योगी व मंदिर से संबंध इनकी दावेदारी को मजबूत करता है. वहीं महंत रवींद्रदास का नाम आता है जो दशकों से मंदिर से जुड़े हुए हैं. योगी के करीबी हैं, कालीबाड़ी के महंत है.
इसी कड़ी में बेदाग छवि के डॉ. धर्मेंद्र सिंह का नाम टिकट के लिए सुर्खियों में है. पहले वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में थे. मंदिर से उनका अच्छा संबंध बताया जाता है. सबसे अंतिम में एक नाम द्वारिका तिवारी का आता है जो मंदिर के सचिव और योगी आदित्य नाथ के खासम खास है. द्वारिका तिवारी भी उम्मीदवार बनाये जा सकते हैं पीठ से जुड़े हुए भी हैं. ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ के समय से मंदिर व योगी के समस्त कार्य देख रहे हैं.
गोरक्षनाथ पीठ का रहा है दबदबा
1952 में पहली बार गोरखपुर लोकसभा सीट के लिए चुनाव हुआ और कांग्रेस ने जीत दर्ज की. इसके बाद गोरक्षनाथ पीठ के महंत दिग्विजयनाथ 1967 निर्दलीय चुनाव जीता. उसके बाद 1970 में योगी आदित्यनाथ के गुरु अवैद्यनाथ ने निर्दलीय जीत दर्ज की. 1971 से 1989 के बीच एक बार भारतीय लोकदल तो कांग्रेस का इस सीट पर कब्ज़ा रहा. लेकिन 1989 के बाद से सीट पर गोरक्षपीठ का कब्ज़ा रहा. महंत अवैद्यनाथ 1998 तक सांसद रहे. उनके बाद 1998 से लगातार पांच बार योगी आदित्यनाथ का कब्ज़ा रहा.
गोरखपुर और फूलपुर लोक सभा सीट के लिए मतदान 11 मार्च को होगा. चुनावों के परिणाम की घोषणा 14 मार्च को होगी. गोरखपुर सीट मुख्यमंत्री आदित्यनाथ और फूलपुर सीट उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद खाली हुई है.