डॉ.लीना तिवारी ने वाजपेयी का मनाया जन्मदिन, पंडित मदन मोहन मालवीय को किया याद-जेपी यादव

Update: 2017-12-25 09:51 GMT
जौनपुर। पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी व महामना मदन मोहन मालवीय जी का जन्मदिन सोमवार को मड़ियाहू में स्थित ददरा गाँव में विधायक डॉ.लीना तिवारी ने कार्यकर्ताओं के संघ धूमधाम से मनाया। वक्ताओं ने अटल जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में डॉ.लीना तिवारी ने कहा कि भारत के राजनीतिक इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है. उनकी पहचान एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक, भाषाविद, कवि, पत्रकार व लेखक के रूप में है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा में पले-बढ़े अटल जी lराजनीति में उदारवाद और समता एवं समानता के समर्थक माने जाते हैं. उन्होंने राजनीति को दलगत और स्वार्थ की वैचारिकता से अलग हट कर अपनाया और उसको जिया. जीवन में आने वाली हर विषम परिस्थितियों और चुनौतियों को स्वीकार किया. नीतिगत सिद्धांत और वैचारिकता का कभी कत्ल नहीं होने दिया. राजनीतिक जीवन के उतार-चढ़ाव में उन्होंने आलोचनाओं के बाद भी अपने को संयमित रखा। आज हम लोग उनको अपना आदर्श मानते है। 

इस अवसर पर ई0 सात्विक तिवारी ने अपना विचार व्यक्त करतें हुये कहां अटल जी के राजनीति में धुर विरोधी भी उनकी विचारधारा और कार्यशैली के कायल रहे.पोखरण जैसा आणविक परीक्षण कर दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के साथ दूसरे मुल्कों को भारत की शक्ति का अहसास कराया. 

सात्विक ने कहां उनकी कविता याद है। पराजय की प्रस्तावना नहीं. वह हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय संकल्प है. वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है. ..हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा..खास चर्चा में रही। 

डॉ.श्याम दत्त दुबे ने अपने ओजस्वी विचार में कहां श्रधेय पंडित अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी राजनीतिक कुशलता से भाजपा को देश में शीर्ष राजनीतिक सम्मान दिलाया.अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति में कभी भी आक्रमकता के पोषक नहीं थे. वैचारिकता को उन्होंने हमेशा तवज्जो दिया. अटल जी मानते हैं कि राजनीति उनके मन का पहला विषय नहीं था. राजनीति से उन्हें कभी-कभी तृष्णा होती थी. लेकिन, वे चाहकर भी इससे पलायित नहीं हो सकते थे क्योंकि विपक्ष उन पर पलायन की मोहर लगा देता. वे अपने राजनैतिक दायित्वों का डट कर मुकाबला करना चाहते थे. यह उनके जीवन संघर्ष की भी खूबी रही. 

डॉ.श्याम दत्त दुबे ने अपने ओजस्वी विचार में कहां श्रधेय पंडित अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी राजनीतिक कुशलता से भाजपा को देश में शीर्ष राजनीतिक सम्मान दिलाया.अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति में कभी भी आक्रमकता के पोषक नहीं थे. वैचारिकता को उन्होंने हमेशा तवज्जो दिया. अटल जी मानते हैं कि राजनीति उनके मन का पहला विषय नहीं था. राजनीति से उन्हें कभी-कभी तृष्णा होती थी. लेकिन, वे चाहकर भी इससे पलायित नहीं हो सकते थे क्योंकि विपक्ष उन पर पलायन की मोहर लगा देता. वे अपने राजनैतिक दायित्वों का डट कर मुकाबला करना चाहते थे. यह उनके जीवन संघर्ष की भी खूबी रही.। 
उन्होंंने कहां आज भारत रत्न , देवरत्न, राष्ट्ररत्न, व कुशल नेतृत्वकर्ता काशीहिंदू विश्विद्यालय के संस्थापक पंडित महामना मोहन मालवीय जी ,भारत रत्न , देवरत्न, राष्ट्ररत्न, कुशल राजानीतिक, लेखक कवि पत्रकार, वकील वदेश के प्रंधानमंत्री पंडित अटल बिहारी बाजपेयी जी, व राष्ट्र रक्षक गुरु गोविंद सिंह जी के जन्मदिवस पर हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं,.एक बार एक पत्रकार महोदय ने प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गाँधी जी से पूछा की क्यां आप अटल बिहारी बाजपेई जी का भाषण सुना है।-इंदिरा जी ने कहां नहीं ., पत्रकार ने पूछा क्यों नहीं सुना -श्री मती इंदिरा गाँधी जी ने कहां की एक बार जो अटल जी का भाषण सुन लेता है। वह अटल जी का हो जाता है। उनकी विचारधारा सुनने के बाद अटल जी का विचारधारा का हो जाता है। अटल जी के जुबान पर सरस्वती जी का वास होता है। 
आज उन्हीं के पुण्यप्रताप से हमारे भारत की सरकार व प्रदेश की सरकार राष्ट्रहित में कार्य कर रही है। विकास कर रही है। आज हमलोग आपके बीच विकास की बात कर रहे है। तो वही प्रंधानमंत्री व मुख्यमंत्री राष्ट्र के विकास कर रहे है। 

इस अवसर पर वक्ताओ ने बारी बारी से अपना विचार दियां
बृह्म देव मिश्र, ताणक सरोज, सुरेश गुप्त ,बिनय सिह,शशि पान्डे समेत भारी संख्यां में लोग उपस्थित रहे।

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