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साल 1975 के चुनाव में कांग्रेस ने उनका टिकट काटा, तो उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत का परचम लहराकर फिर कांग्रेस में शामिल हुए. इसके बाद 1997 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी को तोड़कर अपनी अलग पार्टी लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन किया और फिर कल्याण सिंह की सरकार को बचाया तो पॉवर मिनिस्टर बने.
इसके बाद से यूपी की सता में अग्रवाल की पॉवर बरक़रार है. चाहे सरकार किसी की भी रही. जब समाजवादी पार्टी के पास सत्ता होती है, तो वह मुलायम सिंह परिवार के साथ खड़े दिखाई देते हैं और जब बीएसपी की सरकार आती है, तो वह बीएसपी सुप्रीमो मायावती का गुणगान करते नज़र आते हैं.