बुक्कल नवाब को गलत तरीके से दिया गया आठ करोड़ का मुआवजा, होगी रिकवरी

Update: 2017-04-27 04:54 GMT
लखनऊ : बुक्कल नवाब को पिछली सरकार में गलत तरीके से दिए गए नदी की जमीन के मुआवजा की रिकवरी होगी। शासन ने इसके लिए बुक्कल नवाब को नोटिस भी भेजा है। यह जानकारी बुधवार को महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच को दी। इसके साथ ही हाईकोर्ट में याची हरी सिंह ने 2010 में भी उन्हें 9 करोड़ रुपये मुआवजा इसी तरह दिए जाने की सूचना दी है।

हाईकोर्ट में बुधवार को जस्टिस सुधीर अग्रवाल को महाधिवक्ता यूपी शासन ने अब तक की गई कार्यवाही की जानकारी दी। उनका कहना था कि करीब आठ करोड़ रुपये गलत तरीके से मुआवजा के रूप में बुक्कल नवाब को दिया जाना पाया गया है।

इसके बाद रिकवरी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए नोटिस भी उन्हें दिया जा जा चुका है। इसके बाद हाईकोर्ट ने शासन की कार्रवाई की पूरी जानकारी अगली सुनवाई तक मांगी है। अब हाईकोर्ट ने 23 मई को सुनवाई की तारीख तय की है।

अखबारों में छप रहीं खबरें मीडिया ट्रायल नहीं

गलत तरीके से गोमती नदी की जमीन का मुआवजा ले चुके एमएलसी बुक्कल नवाब के मामले में अखबारों में छप रही खबरों को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मीडिया ट्रायल मानने से इन्कार कर दिया। हाईकोर्ट का कहना है कि उनके आदेश पर खबरें अगर प्रकाशित हो रही हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

हाईकोर्ट में बुक्कल नवाब ने शिकायत की कि उनके खिलाफ मीडिया ट्रायल चल रहा है। इस पर हाईकोर्ट ने उन्हें अपना पक्ष लिखित में साक्ष्य सहित देने के लिए कहा। इसके बाद बुक्कल नवाब ने हाईकोर्ट को 'अमर उजाला' सहित मीडिया में छपी खबरों की प्रतियां दीं।

इनका अवलोकन करने के बाद जस्टिस अग्रवाल ने कहा कि जो साक्ष्य दिए गए हैं, उन्हें देखने के बाद यह कहीं से नहीं लगता कि यह मीडिया ट्रायल है। हाईकोर्ट ने कहा कि उनके आदेश केआधार पर ही यह खबरें प्रकाशित की गई हैं। हाईकोर्ट का आदेश पब्लिक के लिए मौजूद है।

खबरों में ऐसा कुछ नहीं जोकि आपत्तिजनक हो। हाईकोर्ट के आदेश को खबर के रूप में प्रकाशित करना मीडिया ट्रायल नहीं है। बुक्कल के इस तरह की खबरों के प्रकाशित करने पर भी रोक लगाने की गुजारिश को अदालत ने ठुकरा दिया।

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