अरावली पहाड़ियों के मामले के बीच याद आई राजस्थान की एक वीरांगना? जानें उनकी कहानी

Update: 2025-12-19 14:24 GMT

 राजस्थान में अरावली पहाड़ियों को लेकर काफी चिंता बनी हुई है. ऐसे में कहा जा रहा है अगर अरावली को कमजोर किया गया तो जंगल, पानी, खेती, पर्यटन और स्वास्थ्य भारी नुकसान हो सकता है.

इसी के बीच लोगों को राजस्थान की रहने वाली एक वीरांगना की याद आई है, जिन्होंने जोधपुर के खेजड़ली गांव में पेड़ों की रक्षा के लिए अपनी और अपनी तीन बेटियों के साथ 363 बिश्नोई समुदाय के लोगों के साथ अपनी जान दे दी थी. इसके चलते पूरे देश में 11 सितंबर को 'राष्ट्रीय वन शहीद दिवस' के रूप में मनाया जाता है.

कहानियों के मुताबिक, उस वक्त जोधपुर में मारवाड़ राजा अभय सिंह शासक थे, जो एक नया महल बनाने की योजना बना रहे थे. इसके लिए लकड़ियां चाहिए थीं. ऐसे में राजा अभय सिंह ने अपने कर्मचारियों को खेजड़ी के पेड़ काटने के लिए भेजा. बता दें कि खेजड़ली गांव में बहुत सारे खेजड़ी के पेड़ थे.

जब राजा के इस काम के बारे में अमृता देवी बिश्नोई को पता चला तो वो पेड़ से जाकर लिपट गई और राजा के सैनिकों के खिलाफ प्रदर्शन किया. बता दें कि बिश्नोई धर्म में हरे पेड़ों को काटना सख्त मना है लेकिन राजा के कर्मचारियों ने पेड़ के साथ उन्हें भी कुल्हाड़ी से काट दिया और अमृता देवी शहीद हो गईं. वहीं, इसके बाद उनकी तीन बेटियां आसू, भागू और रत्नी भी पेड़ को बचाने के लिए मर गई.

जब इसके बार में गांव के लोगों को पचा चला तो वे लोग भी पेड़ बचाने के लिए निकल पड़े और बिश्नोई समाज के 83 गांव के 363 लोगों ने पेड़ बचाने के लिए अपनी जान दे दी. इसके चलते तभी से बिश्नोई समाज में अमृता देवी को अमृत कहा जाता है.

वहीं, जब इसकी जानकारी राजा अभय सिंह को मिली, तो वह दुख और पश्चाताप में डूब गए और इसके बाद उन्होंने महल ना बनाने और बिश्नोई गांव में शिकार न करने का आदेश जारी किया.

बता दें कि राजस्थान के थार रेगिस्तान वाले इलाकों में अधिकतर जमीन बंजर है, जिसकी वजह से वहां पेड़ कम हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण खेजड़ी पेड़ हैं और इनको थार रेगिस्तान की जिंदगी माना जाता है. खेजड़ी छोटे सदाबहार पेड़ हैं, जिनकी पत्तियां बकरियों, ऊंटों के साथ कई जानवरों को खिलाई जाती हैं. इसके अलावा इस पर उगने वाली फलियां खाई जाती है और लकड़ी ईंधन हैं. खेजड़ी पेड़ की जड़ें वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर बनाई रखती हैं और इससे मट्टी उपजाऊ बनाती है.

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