भारत से बिगड़े रिश्तों पर डैमेज कंट्रोल में जुटा अमेरिका, व्यापार समझौते पर शुरू हुई वार्ता
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर लगाए गए टैरिफ के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई थी। अब ट्रंप प्रशासन इस स्थिति से निपटने के लिए डैमेज कंट्रोल की कोशिशों में जुटा है। अपडेट यह है कि भारत और अमेरिका के मुख्य वार्ताकारों ने प्रस्तावित व्यापार समझौते पर मंगलवार को बातचीत शुरू कर दी है। इसमें निर्यातकों के लिए अनिश्चितता पैदा करने वाले भारी शुल्कों के मद्देनजर मुद्दों को सुलझाने के प्रयास किए जाएंगे।
कौन-कौन कर रहा है वार्ता?
दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच अमेरिकी टीम का नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल भारत के मुख्य वार्ताकार हैं। लिंच अपने भारतीय समकक्ष के साथ एक दिवसीय वार्ता के लिए सोमवार देर रात भारत पहुंचे थे। रूसी कच्चा तेल खरीदने के लिए अमेरिकी बाजार में प्रवेश करने वाले भारतीय सामान पर 25 प्रतिशत शुल्क और 25 प्रतिशत अतिरिक्त जुर्माना लगाए जाने के बाद किसी उच्च पदस्थ अमेरिकी व्यापार अधिकारी की यह पहली यात्रा है।
भारत ने क्या कहा?
भारत ने 50 प्रतिशत के भारी शुल्क को अनुचित बताया है। फरवरी में, दोनों देशों के नेताओं ने अधिकारियों को प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करने का निर्देश दिया था। समझौते के पहले चरण को 2025 की शरद ऋतु तक पूरा करने की योजना थी। अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है और छठे दौर की वार्ता, जो 25-29 अगस्त तक होनी थी, उच्च आयात शुल्क लगाए जाने के बाद स्थगित कर दी गई थी।
वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी क्या बोले?
वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लिंच और भारतीय अधिकारियों के बीच बैठक को छठे दौर की वार्ता के रूप में नहीं, बल्कि उससे पहले की बातचीत के रूप में देखा जाना चाहिए। अधिकारी ने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका साप्ताहिक आधार पर वर्चुअल माध्यम से चर्चा कर रहे हैं।
पीएम मोदी और ट्रंप की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों के सकारात्मक मूल्यांकन पर गर्मजोशी से प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। इसके कुछ दिन बात यह बातचीत हो रही है। रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर भारत यह कहता रहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की गतिशीलता से प्रेरित है। सरकार ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि वह सभी व्यापार समझौतों में अपने किसानों, डेयरी उत्पादकों और एमएसएमई के हितों की रक्षा करेगी।