उत्तराखंड : प्राकृतिक आपदा में लापता 29 मज़दूरों के परिवारों को अब मिल सकेंगे 29-29 लाख

Update: 2021-05-31 07:42 GMT

करीब चार महीने पहले जब 7 फरवरी को उत्तराखंड के चमोली ज़िले में ग्लेशियर फटने के बाद भारी बाढ़ की आपदा आई थी, तब वहां उत्तर प्रदेश के 29 मज़दूर लापता हो गए थे. ये मज़दूर उप्र के लखीमपुर व उत्तराखंड से सटे आसपास के गावों के थे, जो तपोवन विष्णुगढ़ हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे. इन 29 मज़दूरों को अब सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया गया है. इस घोषणा से होगा यह कि इनके परिवारों की तलाश की अर्ज़ियां अब बंद कर दी जाएंगी और विभिन्न योजनाओं के तहत मृतकों के परिवारों को जो लाभ दिया जा रहा है, इनके परिवारों को भी मिलेगा.

खबरों के मुताबिक लखीमपुर खेरी ​ज़िले के कुल 33 और शाहजहांपुर ज़िले का 1 मज़दूर फरवरी में बाढ़ में बह गया था. इनमें से पांच के शव बाद में बरामद कर लिये गए थे लेकिन 29 का पता तबसे ही नहीं चला था. सरकारी प्रक्रिया के दौरान अब इन्हें मृत घोषित करते हुए इनकी तलाश संबंधी फाइलें बंद की गई हैं.

इस साल 23 फरवरी को उत्तराखंड सरकार ने एक अधिसूचना जारी करते हुए कहा था कि बाढ़ में बहे करीब 140 लोगों का पता नहीं चला, जिन्हें 'मृत मानकर' घोषणा की जा सकती है. मार्च में सीमावर्ती उप्र सरकार ने इन 140 लोगों को 'मृत' मानने की प्रक्रिया शुरू की तो लखीमपुर के मज़दूरों के रिकॉर्ड मंगवाए गए.

इन 29 में से 13 इच्छानगर, 8 बहरामपुर और बाकी पड़ोसी गांवों के रहने वाले मज़दूर थे. इनके बारे में अखबारों में 23 अप्रैल को सरकार ने एक गजट प्रकाशित करवाते हुए कहा कि इन मज़दूरों को मृत घोषित किए जाने में किसी को कोई आपत्ति हो तो दर्ज करवाए. जब कोई आपत्ति नहीं आई, तो उत्तराखंड ने इनके मृत्यु प्रमाण जारी किए. हालांकि अभी इनके परिवारों को ये सर्टिफिकेट नहीं मिलने की खबरें हैं.

मृत घोषित किए जाने के बाद इन मज़दूरों के परिवारों में से प्रत्येक को कुल 29 लाख रुपये मिलेंगे. राष्ट्रीय थर्मल पावर कॉर्पोरेशन यानी एनटीपीसी की ओर से प्रत्येक को 20 लाख का मुआवज़ा दिया जाएगा, जबकि उत्तराखंड आपदा राहत कोष से 4 लाख, उत्तर प्रदेश सरकार व केंद्र की ओर से 2 लाख और उत्तराखंड सरकार की लाभार्थी योजना के तहत 1 लाख रुपये की रकम दी जाएगी.

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