"अटल सुरंग" ने जनजातीय क्षेत्र लाहौल में पर्यटन की तस्वीर बदल दी,

Update: 2025-12-28 10:20 GMT


धर्मशाला दिसम्बर 28 ,2025

मनाली को लाहौल से जोड़ने बाली दुनिया की सबसे लम्बी राज मार्ग सुरंग "अटल सुरंग" ने शीत मरुस्थल के रूप में बिख्यात बर्फीली लाहौल घाटी में पर्यटन की तस्वीर बदल दी है / यह जानकारी राज्य

सभा सांसद प्रोफेसर ( डॉक्टर ) सिकन्दर कुमार द्वारा लिखी गई पुस्तक " मोदी युग में आर्थिक सशक्तिकरण " में दी गई है जिसका बिमोचन पिछले हफ्ते उपराष्ट्रपति श्री सी पी राधाकृष्णन द्वारा द्वारा किया गया /

/ इस पुस्तक में "अटल सुरंग" के बारे में लिखा है की इस सुरंग से लाहौल में साल भर पर्यटन सीजन शुरू हो गया है जिससे ;लाहौल की सामाजिक आर्थिक स्थिति में क्रांतिकारी बदलाब आया है / इस सुरंग को औसतन एक लाख पर्यटक प्रति माह पार करते हैं /

उन्होंने लिखा है की यह सुरंग लाहौल क्षेत्र के लिए आर्थिक उत्प्रेरक के रूप में काम कर रही है बहीं दूसरी ओर यह शस्त्र बलों को लदाख के लिए बैकल्पिक सम्पर्क मार्ग भी प्रदान कर रही है /

सीमा सड़क संगठन द्वारा 3200 करोड़ की लागत से वर्ष 2020 में तैयार की गई इस सुरंग से मनाली और केलोंग के बीच कुल दुरी 116 किलोमीटर से घट कर 71 किलो मीटर रह गई है और मनाली लेह के बीच की दुरी 46 किलो मीटर कम हो गई है / लाहौल के साथ साथ यह लदाख और सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य रसद और पर्यटकों की कनेक्टिविटी को सुगम बनाती है जिससे लाहौल के साथ साथ लेह की अर्थ व्यवस्था की भी गति मिली है/

वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में 10 ,000 फ़ीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित सबसे लम्बी सुरंग के रूप में मान्यता प्राप्त करने बाली

इस सुरंग में बेंटीलेशन ,आपत्कालीन निकाशी सुरंग , अग्नि नियंत्रण प्रणाली और और निरंतर बायु गुणबत्ता निगरानी सहित विश्व की बेहतरीन उन्नत सुरक्षा प्रणालियाँ हैं /

राजयसभा सांसद प्रोफेसर ( डॉक्टर ) सिकन्दर कुमार ने " मोदी युग में आर्थिक सशक्तिकरण " में लिखा है की दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में आम जन मानस को आगमन की सुगम सुविधा प्रदान करने के लिए पर्वतमाला रोपवे कार्यक्रम में 1 . 25 करोड़ रूपये की लागत से आगामी पांच सालों में 1200 किलोमीटर लम्बी 250 से अधिक रोपवे परियोजनाओं का विकास किया जायेगा / पर्वतमाला रोपवे कार्यक्रम के अन्तर्गत कार्यक्रम में हिमाचल के पर्यावरण के अनुकूल , मनोरम और सुगम यात्रा के लिए विश्व स्तरीय प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए कुल 57 . 1 किलोमीटर लम्बाई की 7 रोपवे परियोजनाओं का निर्माण 3 ,232 करोड़ रूपये की लागत से किया जायेगा / पर्बतमला रोपवे कार्यक्रम के अन्तर्गत 13.5 किमी लम्बी पालमपुर थात्री.छुंजा ग्लेशियर रोपवे पर 605 करोड़ करोड़ रूपये लागत आएगी / जिला सिरमौर में 8 किमी लम्बी शिरगुल महादेव मंदिर से चुधर ;सड़क पर 250 करोड़ , बिलासपुर जिला में लुन्हू – बंदला की 3 किमी लंबी सड़क, जिसकी लागत 150 करोड़ रुपये है। हिमानी से चामुंडा (जिला - कांगड़ा) तक 6.5 किमी लंबी सड़क, जिसकी लागत 289 करोड़ रुपये है। बिजली महादेव मंदिर (जिला - कुल्लू), जिसकी लंबाई 3.2 किमी है और जिसकी लागत 200 करोड़ रुपये है। भरमौर से भरमानी माता मंदिर तक 2.5 किलोमीटर लंबी सड़क, जिसकी लागत 120 करोड़ रुपये है। . किल्लर से सच्च दर्रा (जिला - चंबा) तक 20.4 किमी की सड़क, जिसकी लागत 1618 करोड़ रुपये है। का निर्माण किया जायेगा /

किताब में लिखा है की प्रधान मन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने डिजिटल कनेक्टिविटी में गाँवो को शहरों को बराबर खड़ा कर दिया है जिसका हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों को विशेष लाभ मिला है / बर्ष 2015 और 2021 के बीच ग्रामीण इंटरनेट में 200 प्रतिशत की बृद्धि दर्ज की गई है /वर्ष 2024 में 95 . 15 % गांवो में इंटरनेट की पहुंच हो गई है और अब लगभग 40 करोड़ ग्रामीण इंटरनेट सुविधा का उपयोग कर रहे हैं / देश के 954 . 40 मिलियन इंटरनेट उपभोक्ताओं में से 398 . 35 मिलियन इन्टरनेट उपभोक्ता ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं / भारत नेट परियोजना ने 2 . 13 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी के साथ जोड़ा गया है / पिछले तीन बरसों में ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल लेनदेन में 200 % से ज्यादा की बृद्धि हुई है /

पुस्तक में लिखा है की 17 सितम्बर 2023 को 13,000 करोड़ रूपये की लागत से शुरू की गई पंचवर्षीय प्रधान मन्त्री विश्वकर्मा योजना ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल को तरासने में गेम चेंजर साबित होगी / हिमाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत तीन स्तरीय जाँच के बाद अभी तक 1,83,245 अभियर्थियों का चयन किया गया है / चयनित अभियर्थियों को बितीय सहायता के साथ साथ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम मंत्रालय के तकनीकी विषेशज्ञों द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है /

शून्य बैंक बैलेंस से शुरू की गई प्रधान मन्त्री जन धन योजना के अंतर्गत 53 . 13 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खोले जा चुके हैं जिसमे से 55 . 6 % महिलाओं के पास और 66 . 6 % ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में हैं / ग्रामीण परिवारों की बितीय जरूरतों के लिए ओवरड्राफ्ट के रूप में 23,000 करोड़ से ज्यादा की राशि बितरित की जा चुकी है/

हिमाचल प्रदेश में लगभग 20 लाख जन धन खाते हैं 

Similar News