नैनीताल हाईवे पर दर्दनाक हादसा - डिवाइडर तोड़कर बोलेरो पर पलटा ट्रक, चालक की मौके पर मौत
रिपोर्ट : विजय तिवारी
रामपुर।
उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में नैनीताल हाईवे पर एक भीषण सड़क हादसे ने एक बार फिर देश की शहरी सड़कों पर बने अवैज्ञानिक डिवाइडरों और खतरनाक टर्न की पोल खोल दी है। लकड़ी के छिल्लों/भूसे जैसे हल्के लेकिन असंतुलित भार से लदा एक ट्रक नियंत्रण खो बैठा, डिवाइडर को तोड़ता हुआ सामने से आ रही बोलेरो जीप पर पलट गया। इस दुर्घटना में बोलेरो चालक की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि सड़क पर अफरा-तफरी मच गई।
कैसे हुआ हादसा
प्रत्यक्षदर्शियों और वायरल वीडियो फुटेज के अनुसार, ट्रक तेज़ रफ्तार में था और चौराहे/टर्न के पास बने संकरे व ऊँचे डिवाइडर से टकराने के बाद संतुलन बिगड़ गया। डिवाइडर का डिज़ाइन और टर्न की तीव्रता ऐसी थी कि ट्रक का भार एक ओर झुकते ही वह सीधे बोलेरो पर पलट गया। बोलेरो को संभलने या बचने का कोई मौका नहीं मिला।
जान-माल का नुकसान
हादसे में बोलेरो चालक की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई। सूचना मिलते ही पुलिस और प्रशासन मौके पर पहुँचा। भारी वाहन हटाने और यातायात बहाल करने में समय लगा, जिससे हाईवे पर लंबा जाम लग गया।
प्रशासनिक कार्रवाई व स्थिति
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। ट्रक चालक घटना के बाद से फरार बताया जा रहा है; उसकी तलाश जारी है। प्रारंभिक जांच में तेज़ रफ्तार, भार का असंतुलन और सड़क संरचना को प्रमुख कारण माना जा रहा है। सीसीटीवी/मोबाइल वीडियो साक्ष्य के रूप में सुरक्षित किए गए हैं।
सोशल मीडिया पर उबाल
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। कई जिम्मेदार नागरिकों, पत्रकारों और जनप्रतिनिधियों ने सवाल उठाए कि जब दुर्घटना में डिवाइडर और टर्न की भूमिका स्पष्ट दिखती है, तो केवल चालक को दोषी ठहराकर मूल समस्या से कैसे निपटा जा सकता है?
विशेषज्ञों की राय: “डिज़ाइन फेलियर”
यातायात विशेषज्ञों का कहना है कि देश के अनेक शहरों और हाईवे पर डिवाइडर, कट और टर्न मानक (स्टैंडर्ड) के अनुरूप नहीं हैं—
अचानक ऊँचाई/चौड़ाई बदलता डिवाइडर
बिना चेतावनी संकेतों के तीखे मोड़
ओवरलोड वाहनों के लिए असुरक्षित लेआउट
पर्याप्त रिफ्लेक्टर, कैट-आई और ब्रेकिंग ज़ोन का अभाव
ये सभी मिलकर बड़े हादसों का जोखिम बढ़ाते हैं।
बड़ा सवाल : जवाबदेही किसकी?
इस हादसे ने फिर यह सवाल खड़ा किया है कि सिर्फ ड्राइवर की गलती बताकर क्या जानें बचाई जा सकती हैं? या फिर
सड़क डिज़ाइन
नगर/हाईवे प्राधिकरण की निगरानी
मानक निर्माण और ऑडिट
—इन सबकी साझा जवाबदेही तय होगी?
क्या बदलेगा आगे
स्थानीय प्रशासन ने हाईवे के इस हिस्से की सुरक्षा समीक्षा का आश्वासन दिया है। नागरिक संगठनों ने मांग की है कि
देशव्यापी यूनिफ़ॉर्म रोड-डिज़ाइन मानक लागू हों
खतरनाक टर्न/डिवाइडर की तत्काल रीडिज़ाइनिंग हो
भारी वाहनों की ओवरलोडिंग पर सख़्त कार्रवाई
दुर्घटना-संभावित ब्लैक स्पॉट्स की नियमित सेफ्टी ऑडिट
रामपुर की यह घटना केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि व्यवस्था के ढाँचागत दोषों का आईना है। जब तक सड़कें वैज्ञानिक मानकों पर नहीं
बनेंगी और निगरानी कठोर नहीं होगी, तब तक ऐसे हादसे थमना मुश्किल है। एक जान गई है—अब सवाल यह है कि क्या यह आख़िरी होगी?