वडोदरा से राष्ट्रीय राजनीति में हलचल — ‘एकता मार्च’ को लेकर सियासी तापमान तेज, BJP सांसद हेमांग जोशी का राहुल गांधी को खुला निमंत्रण; कांग्रेस बोली— “सस्ती लोकप्रियता का प्रयास”

Update: 2025-11-27 13:37 GMT

रिपोर्ट : विजय तिवारी

गुजरात के वडोदरा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद डॉ. हेमांग जोशी द्वारा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को ‘एकता मार्च’ में शामिल होने का आधिकारिक निमंत्रण भेजे जाने के बाद राष्ट्रीय सियासत में नई चर्चा शुरू हो गई है। सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती को समर्पित यह पदयात्रा 26 नवंबर से 6 दिसंबर 2025 तक आयोजित की जा रही है और 29–30 नवंबर को वडोदरा शहर से गुजरेगी, जहाँ राहुल गांधी की भागीदारी को लेकर राजनीतिक हलकों में उत्सुकता बनी हुई है।

मार्च का उद्देश्य और राजनीतिक महत्व

‘एकता मार्च’ करमसद (पटेल का जन्मस्थान) से प्रारंभ होकर नर्मदा जिले स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर समाप्त होगा। सांसद हेमांग जोशी ने इसे राष्ट्रीय एकता, अखंडता और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक बताया है। उन्होंने लिखित पत्र में राहुल गांधी से आग्रह किया कि वे राजनीतिक पहचान से ऊपर उठकर “एक भारतीय नागरिक” के रूप में शामिल हों।

जोशी ने कहा —

“यह मार्च राजनीति से ऊपर है। सरदार पटेल ने कभी यह नहीं पूछा कि आप किस पार्टी से हैं — उन्होंने सिर्फ पूछा कि क्या आप भारत के लिए खड़े हैं। अगर राहुल गांधी साथ चलें, तो ‘एक भारत — श्रेष्ठ भारत’ का संदेश और मजबूत होगा।”

उन्होंने सुरक्षा व प्रशासनिक व्यवस्थाओं को लेकर पूर्ण सहयोग का आश्वासन भी दिया है।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया — ओझा का तीखा हमला

कांग्रेस नेता रामकिशन ओझा ने इस न्योते को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह एक “सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश” है। उन्होंने सवाल उठाया :

“अगर भाजपा को सच में राष्ट्रीय एकता की चिंता है, तो पहले नफरत और विभाजन की राजनीति बंद करे।”

ओझा ने आरोप लगाया कि भाजपा सरदार पटेल के नाम का केवल राजनीतिक उपयोग करती है, और पूछा कि :

“क्या यह मार्च ईमानदार राष्ट्रीय पहल है या राजनीतिक छवि सुधारने का हथियार?”

“पटेल के मूल विचारों को व्यवहार में उतारने के लिए अब तक क्या किया गया?”

मिश्रित जन-प्रतिक्रिया और राजनीतिक समीकरण

स्थानीय नागरिकों, सामाजिक संगठनों व युवाओं में इस पहल को लेकर मिश्रित राय सामने आई है :

कुछ इसे सच्ची राष्ट्रभक्ति बताते हैं,

जबकि कुछ इसे आगामी चुनावी रणनीति से जोड़कर देख रहे हैं।

मीडिया और राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, सत्ता व विपक्ष के बीच लगातार बढ़ते टकराव के समय ऐसा आमंत्रण “अप्रत्याशित और अनोखा” माना जा रहा है और यह संवाद की संभावित नई शुरुआत भी हो सकती है।

आगे क्या और कैसे? दो संभावनाएँ स्पष्ट

यदि राहुल गांधी शामिल होते हैं यदि शामिल नहीं होते

संवाद व सामंजस्य की नई राह खुल सकती है इसे कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति के रूप में प्रोजेक्ट किया जा सकता है

राष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक संदेश कांग्रेस इसे “राजनीतिक स्टंट” बताकर हमला तेज करेगी

राजनीतिक तापमान नरम हो सकता मार्च विवाद और बहस का केंद्र बन सकता

मुख्य सवाल अब भी बाकी

क्या यह एकता मार्च वास्तव में राष्ट्रीय समरसता का प्रयास है या राजनीतिक प्रदर्शन?

क्या विरोधी दल एक राष्ट्रीय मंच पर एक साथ खड़े हो सकते हैं?

क्या जनता इसे “एकता” मानेगी या “चतुर रणनीति”?

हेमांग जोशी का यह आमंत्रण भारतीय राजनीति के लिए एक दिलचस्प मोड़ बनकर सामने आया है। यह राष्ट्रहित को केंद्र में रखकर संवाद की संभावनाएँ खोलने वाला प्रयास भी हो सकता है — और सियासी ब्रांडिंग की रणनीति भी।

अब नजरें राहुल गांधी के फैसले पर हैं, जो तय करेगा कि यह पहल ऐतिहासिक उदाहरण बनेगी या सिर्फ सुर्खियों का हिस्सा साबित होगी।

Similar News