गुजरात में सियासी बड़ा फेरबदल: 2027 विधानसभा चुनाव से पहले नया मंत्रिमंडल, नए चेहरे और नई दिशा

Update: 2025-10-17 11:59 GMT


डेस्क रिपोर्ट : विजय तिवारी

गुजरात में एक बार फिर राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। 2027 की विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने अपने मंत्रिमंडल में बड़ा विस्तार और फेरबदल किया है। इस नए मंत्रिमंडल में कई पुराने चेहरों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है, जबकि युवाओं और नए विधायकों को मौका देकर राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश की गई है।

नया मंत्रिमंडल — नई दिशा

राज्य के नए 26 सदस्यीय मंत्रिमंडल में से 21 मंत्रियों ने शुक्रवार को गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में शपथ ली।

शपथग्रहण समारोह की शुरुआत हर्ष सांघवी ने की, जिन्होंने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर नया अध्याय शुरू किया।

हर्ष सांघवी इससे पहले गृह मंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं और सबसे कम उम्र में राज्य मंत्री बनने का रिकॉर्ड भी उनके नाम है। इस बार उन्हें कैबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया है। वे सूरत की मज़ूरा विधानसभा सीट से विधायक हैं।

10 पुराने मंत्री बाहर, 19 नए चेहरे शामिल

नए मंत्रिमंडल में अनुभवी नेताओं के साथ-साथ युवाओं को भी तरजीह दी गई है।

कुल 10 मंत्रियों को बाहर किया गया है, जबकि 19 नए चेहरों को मंत्रिपद की जिम्मेदारी दी गई है।

नए चेहरों में प्रमुख नाम हैं —

अर्जुन मोढवाडिया (पोरबंदर), दर्शना वाघेला (असरवा), मनीषा वकील (वडोदरा शहर), रिवाबा जडेजा (जामनगर उत्तर), स्वरूपजी ठाकोर (वाव) और कांति अमृतिया (मोरबी) आदि।

सामाजिक और जातिगत संतुलन साधने की कोशिश

नए मंत्रिमंडल में समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने पर विशेष ध्यान दिया गया है —

8 ओबीसी नेता

3 अनुसूचित जाति के प्रतिनिधि

4 अनुसूचित जनजाति से मंत्री

8 पाटीदार नेता

और 3 महिला मंत्री

यह संतुलन भाजपा की रणनीति को दर्शाता है, जिसके ज़रिए 2027 के चुनाव से पहले जनता के बीच सामाजिक समरसता और राजनीतिक विश्वास कायम करने का प्रयास किया गया है।

इन दिग्गजों को नहीं मिली जगह

नए मंत्रिमंडल से कई बड़े नाम बाहर कर दिए गए हैं —

बलवंतसिंह राजपूत (सिद्धपुर), राघवजी पटेल (जामनगर ग्रामीण), बचू खाबड (देवगढ़ बारिया), मूल बेरा (खंभालिया), कुबेर डिंडोर (संतरामपुर), मुकेश पटेल (ओलपाड), भिखुसिंह परमार (मोडासा), कंवरजी हलपति (मांडवी-सूरत) और जगदीश विश्वकर्मा (निकोल) जैसे नेता इस बार मंत्री पद से वंचित रहे।

पृष्ठभूमि

राज्य में यह बदलाव तब आया जब 16 अक्टूबर को 16 मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

इसके बाद 17 अक्टूबर को नए मंत्रिमंडल का गठन किया गया।

सिर्फ चार मंत्री — ऋषिकेश पटेल, कंवरजी बावलिया, परशुराम सोलंकी और कनुभाई देसाई — को उनके पद पर यथावत रखा गया है।

राजनीतिक संदेश

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने इस बदलाव के जरिए आगामी चुनावों से पहले जनता में नई ऊर्जा और विश्वास पैदा करने की कोशिश की है।

नए चेहरों को अवसर देकर और सामाजिक संतुलन साधकर पार्टी ने स्पष्ट संदेश दिया है कि उसकी प्राथमिकता “विकास के साथ प्रतिनिधित्व” है।

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