विधानसभा में विधायक हाजी मोहम्मद फहीम इरफान ने उठाए पीडब्ल्यूडी सड़कों की गुणवत्ता और निषाद समाज के संवैधानिक अधिकारों के मुद्दे
बिलारी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायक हाजी मोहम्मद फहीम इरफान ने आज लोक महत्व से जुड़े दो गंभीर विषयों को उठाकर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया। उन्होंने एक ओर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा कराए जा रहे सड़क निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े किए, वहीं दूसरी ओर निषाद समाज से जुड़ी 17 जातियों के संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन का मुद्दा सदन के पटल पर रखा।
सड़क निर्माण कार्यों पर बोलते हुए विधायक ने कहा कि प्रदेश में जाड़े के मौसम और पानी की उपस्थिति के बावजूद सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है, जो तकनीकी एवं वैज्ञानिक मानकों के पूरी तरह विपरीत है। उन्होंने सरकार के उत्तर को भ्रामक बताते हुए कहा कि अत्यधिक ठंड और नमी की स्थिति में डामर (बिटुमिन) सड़क का निर्माण संभव नहीं होता, क्योंकि ऐसे मौसम में बिटुमिन की वर्केबिलिटी समाप्त हो जाती है और एग्रीगेट के साथ उसकी उचित बॉन्डिंग नहीं बन पाती। परिणामस्वरूप सड़कें बहुत कम समय में उखड़ जाती हैं।
विधायक ने आगे कहा कि सीमेंट कंक्रीट मार्ग का निर्माण भी 5 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान और पानी की अधिकता में तकनीकी रूप से दोषपूर्ण माना जाता है। ऐसी परिस्थितियों में सीमेंट के हाइड्रेशन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे सड़क की मजबूती और आयु दोनों प्रभावित होती हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब विभागीय और वैज्ञानिक मानकों के अनुसार ऐसे मौसम में सड़क निर्माण अनुचित है, तो फिर प्रदेश में बड़े पैमाने पर जाड़े और बरसात के दौरान सड़कें किस आधार पर बनवाई गईं। उन्होंने इसे तकनीकी अज्ञानता, प्रशासनिक लापरवाही अथवा ठेकेदारों और अधिकारियों के गठजोड़ का परिणाम बताया।
इसके साथ ही विधायक हाजी मोहम्मद फहीम इरफान ने निषाद समाज से संबंधित 17 जातियों का मुद्दा उठाते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि ये जातियाँ संवैधानिक एवं वैधानिक रूप से अनुसूचित जाति की सूची में अधिकृत हैं, इसके बावजूद व्यवहारिक स्तर पर इनके जाति प्रमाण-पत्र अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के रूप में बनाए जा रहे हैं। यह स्थिति न केवल संविधान, बल्कि शासनादेशों और न्यायिक प्रावधानों के भी विरुद्ध है।
विधायक ने कहा कि गलत श्रेणी में प्रमाण-पत्र जारी किए जाने के कारण निषाद समाज के लोगों को आरक्षण, शिक्षा और सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनके सामाजिक और संवैधानिक अधिकारों का गंभीर हनन हो रहा है।
उन्होंने सरकार से मांग की कि जाड़े और पानी की स्थिति में कराए गए सड़क निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की समयबद्ध जांच कराई जाए, दोषी अभियंताओं और ठेकेदारों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए तथा भविष्य में जनता के धन की बर्बादी रोकने के लिए एक ठोस, पारदर्शी और जवाबदेह व्यवस्था को सदन के समक्ष स्पष्ट किया जाए।
— वारिस पाशा, बिलारी