कफ़ सिरप तस्करी सिंडिकेट पर ईडी का सबसे बड़ा ऑपरेशन लखनऊ से लेकर गुजरात–झारखंड तक फैले नेटवर्क की परतें खुलीं, बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह की मुश्किलें बढ़ीं
रिपोर्ट : विजय तिवारी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश) :
कोडीन कफ़ सिरप की अवैध तस्करी में सक्रिय सिंडिकेट पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को जिस व्यापक अभियान की शुरुआत की, वह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई में बदल गया है। यह ऑपरेशन 15 घंटे से भी अधिक समय तक लगातार चला और देर रात तक ईडी की टीमें छापेमारी, जब्ती और पूछताछ में जुटी रहीं।
कार्रवाई का केंद्र लखनऊ, लेकिन शिकंजा कई राज्यों तक फैला। ईडी ने यूपी, झारखंड, गुजरात और उत्तराखंड–पश्चिम यूपी के हिस्सों को कवर करते हुए 25 ठिकानों पर एकसाथ दबिश दी।
लखनऊ में बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह की कोठी पर सबसे लंबी कार्रवाई
लखनऊ के चिनहट इलाके स्थित आलोक सिंह की आलीशान कोठी पर ईडी ने तड़के छापा मारा।
तलाशी के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज, संदिग्ध कॉल डिटेल्स वाली डायरी, नेटवर्क से जुड़े मोबाइल और कई डिजिटल डिवाइस जब्त किए गए।
जांच में एक हाथ से बना नेटवर्क चार्ट भी मिला है, जिसमें सप्लाई और रूटिंग का पूरा ‘फ्लो’ दर्शाया गया है। इससे ईडी का संदेह और मजबूत हुआ है कि आलोक सिंह केवल सहयोगी नहीं बल्कि ऑपरेशन का सक्रिय हिस्सा था।
आलोक सिंह को 2 दिसंबर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अब ईडी उसकी संपत्ति, बैंक खातों और कथित निवेश की कड़ियों को खंगाल रही है।
मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल अब भी फरार, लोकेशन पर कड़ा पहरा
सिंडिकेट का मास्टरमाइंड समझा जा रहा शुभम जायसवाल अब तक गिरफ्तारी से बचता रहा है।
ईडी और स्थानीय पुलिस को यह इनपुट मिले हैं कि शुभम पिछले कुछ दिनों में रांची, बिहार सीमा और पूर्वी यूपी के इलाकों में लगातार ठिकाने बदल रहा है।
उसके दोस्तों, रिश्तेदारों और व्यावसायिक साझेदारों के ठिकानों पर छापे डाले गए, जिनमें कई वित्तीय कड़ियाँ मिली हैं।
25 ठिकानों पर छापेमारी – सिंडिकेट देश के कई हिस्सों में फैला
ईडी की जांच अब यह साफ कर रही है कि यह नेटवर्क बेहद संगठित और बहु- राज्यीय था। छापेमारी जिन शहरों में हुई उनमें लखनऊ, वाराणसी, जौनपुर, सहारनपुर, रांची, अहमदाबाद
शामिल हैं।
गुजरात में एक गोडाउन से ईडी को फर्जी बिल बुक, बदले हुए बारकोड, और ट्रक नंबरों की सूची मिली है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि तस्करी को वैध सप्लाई दिखाने के लिए बड़े पैमाने पर कागज़ी हेरफेर की जा रही थी।
कफ़ सिरप तस्करी का पूरा ‘मॉडल’ भी सामने आया
जांच में यह उजागर हुआ कि सिंडिकेट तीन स्तरों पर काम करता था।
1. फार्मा कंपनियों/डिस्ट्रीब्यूटर्स से अवैध रूप से कोडीन आधारित कफ़ सिरप की बड़े पैमाने पर खरीद,
2. फर्जी बिलिंग और परिवहन दस्तावेजों के सहारे दूसरे राज्यों में शिफ्ट,
3. छोटे नेटवर्क के माध्यम से ड्रग मार्केट में ऊँचे दाम पर सप्लाई।
1 बोतल की कीमत मैदान में पाँच से सात गुना तक पहुंच जाती थी। इससे करोड़ों की अवैध कमाई होती थी, जिसका हिस्सा नेटवर्क के विभिन्न सदस्यों तक पहुँचता था।
आलोक सिंह की संपत्ति और लेन-देन की जांच तेज
ईडी ने आलोक सिंह की पिछले वर्षों में खरीदी गई
जमीनें, लग्जरी वाहन, बैंक स्टेटमेंट, और रिश्तेदारों के खातों में हुए लेन-देन की फॉरेंसिक जांच शुरू कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, कई ट्रांसफर ऐसे मिले हैं जिनका कोई वैध स्रोत नहीं है।
डिजिटल डाटा से और बड़े खुलासों की उम्मीद
ईडी ने कई मोबाइल फोन, लैपटॉप और हार्ड डिस्क जब्त की हैं। डिजिटल फॉरेंसिक टीमें डिलीटेड चैट, व्हाट्सऐप ग्रुप, कॉल रिकॉर्ड, बैंकिंग ऐप्स का डेटा रिकवर कर रही हैं। इनसे कई नए नाम सामने आने की संभावना है।
कार्रवाई जारी – सिंडिकेट के कई चेहरे और उजागर होने की तैयारी
ईडी ने साफ किया है कि यह पहला फेज है और आने वाले दिनों में नेटवर्क से जुड़े और लोगों पर शिकंजा कस सकता है। कुछ राज्यों की एजेंसियों से भी समन्वय बढ़ाया गया है।
कुल मिलाकर, कफ़ सिरप तस्करी का यह सिंडिकेट कितना बड़ा और कितनी गहरी जड़ें रखता था, यह ईडी की इस कार्रवाई से लगातार सामने आ रहा है।