मध्यप्रदेश में अजाक्स के नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष IAS संतोष वर्मा का बयान विवादों में

Update: 2025-11-25 10:59 GMT

भोपाल।

मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति–जनजाति अधिकारियों-कर्मचारियों के संगठन अजाक्स के नए प्रांतीय अध्यक्ष बनाए गए IAS संतोष वर्मा एक बयान को लेकर विवादों में आ गए हैं। रविवार को संगठन के प्रांतीय अधिवेशन में दिए गए उनके वक्तव्य का वीडियो सामने आने के बाद राजनीतिक एवं सामाजिक स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएँ दर्ज की जा रही हैं।

अधिवेशन में वर्मा ने कहा—

“जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान न कर दे या उससे संबंध न बना दे, तब तक आरक्षण मिलना चाहिए।”

उन्होंने आगे आर्थिक आधार को लेकर कहा कि “जब तक रोटी-बेटी का व्यवहार नहीं होता, पिछड़ेपन के कारण आरक्षण की पात्रता बनी रहेगी।”

बयान के प्रसार के बाद सोशल मीडिया पर इसे लेकर बहस तेज हो गई। कुछ संगठनों ने इसे सामाजिक विभाजन पैदा करने वाला बताया, जबकि कुछ लोगों ने इसे वर्मा की “समानता और सामाजिक मिश्रण को लेकर दिए गए प्रतीकात्मक बयान” के रूप में देखने की बात भी कही।

विवाद बढ़ने के बाद अजाक्स के प्रांतीय प्रवक्ता विजय शंकर श्रवण ने सफाई देते हुए कहा कि वर्मा के बयान को “तोड़-मरोड़कर पेश किया गया” और उसकी मूल भावना सामाजिक मेल-मिलाप और परस्पर समानता पर आधारित थी।

विश्लेषण

1. राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ

अजाक्स जैसे संगठनों में आरक्षण और सामाजिक प्रतिनिधित्व के मुद्दे स्वाभाविक रूप से संवेदनशील होते हैं।

वर्मा का बयान रोटी-बेटी व्यवहार (अर्थात् सामाजिक समागम/वैवाहिक संबंध) की अवधारणा के जरिए सामाजिक समता की बात करता हुआ प्रतीत होता है, लेकिन उसकी भाषा विवाद को जन्म दे गई।

2. विवाद के कारण

वक्तव्य में समुदाय-विशिष्ट संदर्भ (ब्राह्मण समाज) शामिल होने से इसे समुदाय विशेष पर टिप्पणी के रूप में देखा गया।

“बेटी दान” जैसे शब्दों ने इसे और संवेदनशील बना दिया, जिससे सामाजिक असहमति और आपत्तियाँ सामने आईं।

3. संगठन की सफाई

अजाक्स ने बयान की व्याख्या करते हुए कहा कि असल मंशा सामाजिक दूरी और असमानता पर सवाल उठाने की थी, न कि किसी समुदाय को लक्षित करने की।

फिर भी, आधिकारिक पद पर मौजूद किसी IAS अधिकारी का ऐसा शब्द प्रयोग प्रशासनिक निष्पक्षता की बहस को भी जन्म दे सकता है।

4. व्यापक प्रभाव

इस विवाद का असर आगे चलकर संगठन की छवि, राजनीतिक प्रतिक्रियाओं, और आरक्षण एवं सामाजिक समरसता पर होने वाली चर्चाओं पर दिखाई दे सकता है।

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