छत्तीसगढ़ शराब घोटाला : ED ने चैतन्य बघेल की 61 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की
डेस्क रिपोर्ट : विजय तिवारी
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी चैतन्य बघेल की कुल 61 करोड़ रुपये की संपत्ति अस्थायी रूप से कुर्क कर ली है। ED की कार्रवाई में जिन परिसंपत्तियों को अटैच किया गया है, उनमें 364 प्लॉट, कृषि योग्य जमीन, फिक्स्ड डिपॉज़िट और अन्य निवेश शामिल हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए बनाई गई संपत्ति की पहचान
ED की जांच में सामने आया है कि शराब घोटाले से निकाले गए पैसे को अलग-अलग नामों, फर्मों और रिश्तेदारों के माध्यम से निवेश कर अचल संपत्ति के रूप में खड़ा किया गया। जांच एजेंसी का दावा है कि बघेल ने अवैध धन को छुपाने के लिए कई बेनामी व्यवहार अपनाए, जिसमें छोटे-छोटे प्लॉट खरीदना, FD में पैसा लगाना और कृषि भूमि के सौदे करना प्रमुख है।
364 प्लॉट पर ED की सीधी नज़र
कुर्क की गई संपत्तियों में अधिकांश हाउसिंग प्लॉट हैं, जिन्हें रायपुर और आसपास के इलाकों में अलग-अलग समय पर खरीदा गया था। कई प्लॉट ऐसे हैं जो समान लोकेशन में सीरीज के रूप में खरीदे गए, जिससे जांच एजेंसी को मनी रूट का पूरा पैटर्न समझने में मदद मिली।
कृषि भूमि और FD भी कार्रवाई की जद में
ED के अनुसार, आरोपियों ने काले धन को वैध दिखाने के लिए बड़ी मात्रा में कृषि भूमि खरीदी। इसके अलावा, बघेल और उसके सहयोगियों द्वारा बैंकिंग सिस्टम में बनाए गए फिक्स्ड डिपॉज़िट पर भी प्रवर्तन निदेशालय ने अस्थायी रोक लगा दी है।
शराब घोटाले में अब तक की सबसे बड़ी जब्ती
छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में की गई यह कार्रवाई अब तक की सबसे बड़ी संपत्ति कुर्की मानी जा रही है। इससे पहले भी ED कई कारोबारी और सरकारी अधिकारियों की संपत्ति अटैच कर चुकी है, लेकिन चैतन्य बघेल से जुड़ी यह रकम जांच के पूरे दायरे को और मजबूत करती है।
क्या है पूरा मामला?
ED का आरोप है कि प्रदेश में शराब की बिक्री और ठेकों से जुड़ी अवैध उगाही को एक संगठित नेटवर्क संचालित कर रहा था। इस नेटवर्क में शामिल लोगों ने सरकारी सिस्टम का दुरुपयोग करके करोड़ों रुपये की गैरकानूनी कमाई की। यही पैसा आगे चलकर जमीन, प्लॉट और निवेश के रूप में लगाया गया।
आगे की कार्रवाई
ED अब इन सम्पत्तियों के विस्तृत दस्तावेज़, खरीदार-विक्रेता की जानकारी और लेनदेन की बैंकिंग हिस्ट्री खंगाल रही है। आरोप तय होने पर यह संपत्तियाँ स्थायी रूप से सरकारी नियंत्रण में जा सकती हैं।