वलसाड में बड़ा हादसा : औरंगा नदी पर बन रहा पुल ढहा — 105 मजदूरों की मौजूदगी के बीच 5 घायल, कलेक्टर–SDM ने जांच के आदेश दिए।
रिपोर्ट : विजय तिवारी
गुजरात के वलसाड में शुक्रवार सुबह वह दृश्य सामने आया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। औरंगा नदी पर बन रहा निर्माणाधीन पुल अचानक तीव्र धमाके जैसी आवाज़ के साथ धराशायी हो गया। हादसे के वक्त साइट पर 105 मजदूर मौजूद थे, जिनमें से 5 मजदूर घायल हुए हैं। बड़े नुकसान से बाल-बाल बचते हुए यह हादसा एक बार फिर सवाल खड़ा कर गया—क्या देश की बड़ी परियोजनाओं में सुरक्षा सिर्फ कागज़ों में है?
हादसे की सटीक पुष्टि—गर्डर ने छोड़ा साथ, सेक्शन पलभर में गिरा
सुबह करीब 9 बजे पुल के दो पिलर्स के बीच फिट किया जा रहा गर्डर अचानक लोड बैलेंस खो बैठा। कुछ ही सेकंड में पूरा सेक्शन टूटकर नीचे गिर पड़ा और मजदूरों में भगदड़ मच गई।
गिरा हुआ हिस्सा बांस की मचान, लोहे की शटरिंग और कंक्रीट मिश्रण के साथ नदी किनारे बिखर गया। पाँच मजदूर मलबे में दबे थे जिन्हें साथी मजदूरों और प्रशासनिक टीमों ने बाहर निकाला।
संबंधित अधिकारियों के आधिकारिक बयान —
जिला कलेक्टर भव्या वर्मा ने मौके पर पहुंचकर कहा :
“निर्माणाधीन पुल के दो पिलर्स के बीच का सेक्शन सपोर्ट फेल होने के कारण गिरा है। 5 मजदूर घायल हुए हैं, सभी की हालत स्थिर है। घटना की उच्च स्तरीय तकनीकी जांच शुरू कर दी गई है।”
एसडीएम विमल पटेल ने बताया :
“साइट पर लगभग 105 मजदूर कार्यरत थे। गर्डर फिटिंग के दौरान बैलेंस बिगड़ा और पूरा हिस्सा टूट गया। शुरुआती जांच में स्ट्रक्चरल सपोर्ट की विफलता सामने आई है। निर्माण पूरी तरह रोका गया है।”
दोनों अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि जांच तथ्यात्मक होगी और किसी भी लापरवाही पर सख्त कार्रवाई निश्चित है।
घटना के तुरंत बाद का माहौल—अफरातफरी और बचाव में तेजी
हादसा होते ही साइट पर Dust Cloud उठ गया और मजदूर इधर-उधर भागने लगे।
SDRF, दमकल और पुलिस ने मौके पर पहुंचकर राहत शुरू की।
घायलों को तत्काल कस्तूरबा अस्पताल ले जाया गया।
निर्माण क्षेत्र को सील कर मलबे को हटाने का काम शुरू कर दिया गया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के इलाकों में भूकंप जैसी हलचल महसूस हुई।
सवाल गहरे हैं—इंफ्रास्ट्रक्चर की रफ्तार क्या मजदूरों की जान से तेज है?
भारत की तेज़ रफ्तार विकास परियोजनाओं के बीच यह हादसा एक कठोर सवाल छोड़ गया है—
क्या नियमित लोड टेस्टिंग, सपोर्ट सिस्टम की जांच, क्वालिटी कंट्रोल, और साइट सुपरविजन का पालन सच में उतनी गंभीरता से हो रहा है जितना दस्तावेज़ों में लिखा है?
विशेषज्ञों का स्पष्ट कहना है—
गर्डर का अचानक फेल होना सामान्य नहीं,
यह या तो मटेरियल क्वालिटी, फिटिंग में त्रुटि, या सुपरविजन की कमी की ओर इशारा करता है।
स्थानीय गुस्सा—लोगों की मांग, “जाने बचीं, पर जिम्मेदारी तय हो”
स्थानीय नागरिक और मजदूर संगठनों ने कहा :
इस हादसे में जानें बच गईं, लेकिन यह चेतावनी की अंतिम घंटी है।
दोषियों को चिन्हित कर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
भविष्य में पुल, फ्लाईओवर और बड़े निर्माण कार्यों की सेफ्टी ऑडिट अनिवार्य किए जाएँ।
यह हादसा सिर्फ एक पुल नहीं, पूरी प्रणाली के गिरने का संकेत है।
वलसाड पुल हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं बल्कि एक चेतावनी है कि देश का इंफ्रास्ट्रक्चर तभी मजबूत होगा जब गर्डर से लेकर गवर्नेंस तक, हर स्तर पर सुरक्षा और पारदर्शिता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।