पूर्व माकपा नेता की पुरानी संपत्ति से बरामदगी, इलाके में दहशत – फॉरेंसिक जांच तेज
रिपोर्ट : विजय तिवारी
कोलकाता :
पश्चिम बंगाल के अशोकनगर शहर में रविवार को उस समय सनसनी फैल गई, जब एक मकान की नींव की खुदाई के दौरान मिट्टी के अंदर से कई मानव कंकाल बरामद हुए। यह प्लॉट कभी स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली रहे दिवंगत माकपा (CPM) नेता बिजन मुखर्जी की संपत्ति का हिस्सा माना जाता है। बरसों से बंद पड़े इस घर के पुनर्निर्माण के दौरान यह चौंकाने वाली बरामदगी सामने आई, जिसने पूरे क्षेत्र में दहशत और असमंजस का माहौल पैदा कर दिया है।
खुदाई के दौरान उभरी खोपड़ी, फिर खुलने लगी परत-दर-परत हकीकत
घटना सुबह तब सामने आई, जब निर्माण कार्य में लगे मजदूर नींव गहरी कर रहे थे। इसी दौरान एक मजदूर की नजर मिट्टी में उभरी एक अजीब संरचना पर पड़ी, जो पास से देखने पर मानव खोपड़ी जैसी दिखी। संदेह होने पर और खुदाई की गई, जिसके बाद कई खोपड़ियाँ और हड्डियाँ दिखाई देने लगीं।
सूचना पर पुलिस तत्काल मौके पर पहुँची, क्षेत्र को घेरकर स्थल को “क्राइम सीन” की तरह सील किया गया और आगे की खुदाई पुलिस की निगरानी में कराई गई।
पुरानी राजनीतिक संपत्ति में छिपा राज़
स्थानीय रजिस्ट्री दस्तावेज़ों के अनुसार यह जमीन कभी माकपा नेता बिजन मुखर्जी के परिवार के स्वामित्व में थी। उनके निधन के बाद हुए पारिवारिक बंटवारे में यह हिस्सा मौजूदा मालिकों के पास आया, जिन्होंने पुरानी संरचना को हटाकर नया घर बनाने का निर्णय लिया था।
पास के लोगों के अनुसार यह घर लंबे समय से सुनसान पड़ा था और वर्षों तक कोई गतिविधि नहीं दिखी। ऐसे में जमीन के भीतर से मानव अवशेषों का मिलना राजनीतिक और आपराधिक दोनों दृष्टि से गंभीर सवाल खड़े करता है।
इलाके में दहशत और अफवाहों का दौर
कंकालों की खबर फैलते ही बड़ी संख्या में लोग मौके के आसपास जमा हो गए। पुलिस ने बैरिकेड लगाकर भीड़ को दूर रखा, मगर लोग छतों और गलियों से झांककर दृश्य देखने की कोशिश करते रहे।
स्थानीय लोग आशंकित हैं कि यह अवशेष किसी पुराने हिंसक दौर, राजनीतिक संघर्ष या गुमशुदगी से जुड़े हो सकते हैं। महिलाएँ और बच्चे विशेष रूप से डरे हुए हैं, कई घरों में रात भर अतिरिक्त सतर्कता रखी गई।
अवशेष फॉरेंसिक जांच और डीएनए टेस्ट के लिए भेजे गए
पुलिस ने बरामद हड्डियों और खोपड़ियों को जब्त कर विधिवत पंचनामा तैयार किया और सभी नमूनों को फॉरेंसिक लैब भेज दिया है। विशेषज्ञ अब यह जांच करेंगे—
अवशेष कितने पुराने हैं
कितने व्यक्तियों के कंकाल हैं
मौत का कारण — प्राकृतिक, या हिंसक
डीएनए मिलान के आधार पर पहचान की संभावना
पुलिस ने मामले को “संदिग्ध मौत / अज्ञात शव बरामदगी” के तहत दर्ज किया है और कहा है कि फॉरेंसिक रिपोर्ट के बिना हत्या या किसी घटना से जोड़ना जल्दबाजी होगी।
पुरानी राजनीतिक हिंसा और ‘गायब लोगों’ की फाइलें फिर खुल सकती हैं
अशोकनगर क्षेत्र में वर्षों पहले राजनीतिक तनाव और झड़पों की घटनाएँ दर्ज रही हैं। इस बरामदगी के बाद सामाजिक संगठन और स्थानीय नेता मांग कर रहे हैं कि—
पुराने लापता मामले पुनः खोले जाएं
राजनीतिक हिंसा से जुड़े केसों की समीक्षा की जाए
पहचान मिलने पर पीड़ित परिवारों को न्याय मिले
हालांकि, अभी तक कोई भी आधिकारिक दावा सामने नहीं आया है।
पुलिस के सामने बड़ी चुनौती
अधिकारियों के सामने फिलहाल बेहद महत्वपूर्ण सवाल हैं—
कंकाल कितने साल पुराने हैं?
क्या यह सामूहिक दफन था या अलग-अलग घटनाओं का परिणाम?
क्या मामला राजनीतिक प्रतिशोध, अपराध, गैंगवार या व्यक्तिगत दुश्मनी का है?
उस समय सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य क्या था?
इसके लिए पुलिस वर्तमान और पूर्व मालिकों समेत पड़ोसियों, पुराने किरायेदारों, बुजुर्गों और स्थानीय नेताओं से पूछताछ कर रही है।
प्रशासन ने अफवाहों से बचने की अपील की
सोशल मीडिया पर चल रही बढ़ती चर्चाओं पर रोक लगाते हुए अधिकारियों ने कहा—
जांच पूरी होने से पहले कोई निष्कर्ष न निकाला जाए
बिना प्रमाण किसी पर आरोप न लगाया जाए
मीडिया जिम्मेदारी के साथ रिपोर्टिंग करे
सच्चाई सामने आने में समय लगेगा
फॉरेंसिक रिपोर्ट और डीएनए परीक्षण आने के बाद ही आगे की दिशा साफ होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि—
यदि किसी पुराने लापता मामला या हत्या से मिलान होता है तो बड़ा राज़ सामने आ सकता है
अगर अवशेष बहुत पुराने सिद्ध होते हैं तो यह मामला ऐतिहासिक या सामाजिक शोध का हिस्सा भी बन सकता है
फिलहाल, अशोकनगर की मिट्टी से निकले ये कंकाल पूरे क्षेत्र को झकझोर चुके हैं और अब सबकी निगाहें जांच की प्रगति पर टिकी हैं।
यह बरामदगी सिर्फ एक स्थानीय घटना नहीं, बल्कि इस सवाल की भी गंभीर याद दिलाती है—
हम जिन शहरों और घरों में रहते हैं, उनकी जमीन के नीचे कितनी अनकही कहानियाँ दफन हो सकती हैं?