एग्जिट पोल की माने तो यूपी में मायावती की बसपा सबसे ज्यादा मुश्किल में

Update: 2019-05-20 07:22 GMT

2019 के लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल आते ही कांग्रेस और गठबंधन सहित अन्य पार्टियों की केंद्र में सरकार बनाने की चाहत को बड़ा झटका लगा है. वहीं, बीजेपी नीत एनडीए को पूर्ण बहुमत मिलता हुआ दिख रहा है. इससे मोदी विरोधी विचारधारा को बड़ी ठेस लगी है. बात यदि उत्तर प्रदेश की करें तो यहां पर सपा और बसपा के गठबंधन को ज्यादा फायदा होता नहीं दिख रहा है, क्योंकि मायावती ने अपने अस्तित्व को बचाने के लिए दशकों पुरानी अदावत भुलाकर सपा के साथ हाथ मिलाया था. दरअसल, यूपी की कई सीटों पर उपचुनाव में मिली जीत के बाद सपा-बसपा को लग रहा था कि साथ आने पर लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को प्रदेश में पछाड़ा जा सकता है. लेकिन एग्जिट पोल के नतीजे कुछ और ही कह रहे हैं.

आजतक-एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में भाजपा को यूपी की 80 सीटों में से 62-68 सीटें मिलती हुई नजर आ रही हैं. वहीं, एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन को 10-16 और यूपीए को 1-2 मिल सकती हैं. यानि एक शब्द में कहें तो एग्जिट पोल के अनुसार अखिलेश यादव और मायावती का गठजोड़ काम नहीं कर पाया है. साथ ही कांग्रेस की स्थिति में भी कोई फर्क नहीं आया. एग्जिट पोल के मुताबिक, यूपी में बीजेपी को 48 फीसदी, कांग्रेस को 8 फीसदी और महागठबंधन को 39 फीसदी वोट मिलता दिख रहा है.

एग्जिट पोल की मानें तो यूपी में मायावती की बसपा सबसे ज्यादा मुश्किल में दिख रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को 19.8% वोट मिले थे, जबकि उसे एक भी सीट पर जीत नसीब नहीं हुई थी. वहीं, बसपा की अपेक्षा सपा का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था. उसके खाते में 5 सीटें आई थीं. बात यदि 2009 के चुनाव की करें तो बसपा को 27.4% वोट के साथ 20 सीट और 2004 में 24.7% वोट के साथ 19 सीटें मिली थीं. इससे पहले 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था और सोशल इंजीनियरिंग के दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार भी बनाई थी.

लेकिन पहले 2012 के विधानसभा चुनाव में शिकस्त पाने के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में जीरो पर रहने वाली बसपा को 2017 के विधानसभा चुनाव में भी कुछ नहीं कर पाई. उनकी पार्टी को महज 19 विधायक ही जीत पाए थे.

इस बार लोकसभा चुनाव में मायावती रणनीति बदली और लखनऊ गेस्ट हाउस कांड तक को भुलाते हुए धुर विरोधी मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव से गठबंधन कर लिया. बावजूद इसके एग्जिट पोल के जो नतीजे सामने आ रहे हैं, उसमें मायावती का यह समाजवादी फॉर्मूला भी पूरी तरह ध्वस्त होता दिखाई दे रहा है

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