अंतिम 169 सीटों के लिए संघ ने उतारी 80 हजार स्वयंसेवकों की फौज

Update: 2019-05-02 01:01 GMT

लोकसभा चुनाव के अंतिम तीन चरणों के मतदान को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने नाक का सवाल बना लिया है। भाजपा को हर हाल में पुराना प्रदर्शन दोहराने में मदद करने के लिए संघ ने पश्चिम बंगाल सहित पार्टी के प्रभाव वाले नौ राज्यों में 80,000 वरिष्ठ और प्रशिक्षित स्वयंसेवकों को मैदान में उतारा है। इन्हें घर-घर संपर्क करने, प्रभावशाली लोगों से वार्ता करने और क्षेत्र चिन्हित कर छोटी-छोटी बैठकें करने का निर्देश दिया गया है। इन्हें मतदाताओं को यह समझाने के लिए कहा गया है कि पीएम के तौर पर नरेंद्र मोदी को एक और मौका देना क्यों जरूरी है?

ये स्वयंसेवक मतदाताओं के सामने मोदी के कार्यकाल के दौरान आतंकवाद के जम्मू कश्मीर तक सीमित होने, पाकिस्तान के वैश्विक मंच पर अलग थलग पड़ने और भारत की सशक्त उपस्थिति दर्ज कराने की बात रखेंगे। वे भविष्य की चुनौतियां समझाते हुए बताएंगे कि बतौर पीएम मोदी को एक और कार्यकाल देने की जरूरत क्यों है। संघ प्रथम चार चरणों में सक्रिय रहा है, मगर अंतिम तीन चरण के लिए खास रणनीति तैयार की है।

संघ के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक अंतिम तीन चरणों के नतीजे ही भावी सरकार की रूपरेखा तय करेंगे। इन चरणों में यूपी, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, बिहार और हिमाचल प्रदेश की 129 में से 91 फीसदी से अधिक सीटें भाजपा के पास थी। पार्टी के सामने पश्चिम बंगाल की बाकी बची 24 सीटों पर बेहतर प्रदर्शन की चुनौती है। ऐसे में संघ पहली बार यहां बड़े स्तर पर सक्रिय हुआ है।

अंतिम तीन चरणों का रिकॉर्ड: अंतिम तीन चरणों की बची 169 सीटों में भाजपा को अकेले 116 तो राजग के साथ 127 सीटों पर जीत मिली थी। इनमें यूपी की 41 में से 38, मध्यप्रदेश की 23 में से 22, बिहार की 21 में 19, हरियाणा की 10 में 7, झारखंड की 11 में 9, दिल्ली की सभी सात और हिमाचल की 4 सीटों पर भाजपा जीती थी। विस्तार के लिए पार्टी की निगाहें पश्चिम बंगाल की बाकी बची 27 सीटों पर है, जो पिछले चुनाव में टीएमसी के पक्ष में गई थी।

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