संगम पर उमड़ा आस्था का सैलाब, अब तक 40 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई पुण्य की डुबकी

Update: 2020-01-24 04:33 GMT

प्रयागराज, । माघ मेला के प्रमुख स्‍नान पर्व पर भोर में लाखों भक्‍तों ने संगम मे पुण्‍य की डुबकी लगाई। स्‍नान के बाद पूजन और दान किया। लाखों की संख्‍या में श्रद्धालु संगम में स्‍नान के लिए अभी भी संगम की ओर जा रहे हैं। शुक्रवार भोर में पुण्‍यकाल शुरू होते ही घंटा घडियाल और शंखनाद के बाद मौन डुबकी का सिलसिला शुरु हुआ। प्रशासन का दावा है कि सुबह आठ बजे तक लगभग 40 लाख श्रद्धालु पुण्‍य की डुबकी लगा चुके हैं। यह सिलसिला देरशाम तक जारी रहेगा। श्रद्धालुओं के जलसैलाब को देखते हुए पुलिस और प्रशासन समेत अन्‍य विभाग भी अलर्ट पर हैं। ताकि स्‍नान के लिए आने वाले किसी भक्‍त को किसी तरह की दिक्‍कत न हो। श्रद्धालु गहरे पानी में न जाने पाएं। इसके लिए घाटों पर डीप वाटर बैरीकेडिंग की गई है। साथ ही जल पुलिस के साथ गोताखोर भी घाटों पर मुस्‍तैद हैं। पुलिस कर्मी श्रद्धालुओं से स्‍नान के बाद अनावश्‍यक घाट पर नहीं रुकने के लिए कह रहे हैं। इसके अलावा आसपास के घाटों पर भी बडी संख्‍या में श्रद्धालु गंगा और यमुना में स्‍नान कर रहे हैं।

दो दिन पहले से ही आने लगे थे श्रद्धालु

मौनी अमावस्‍या पर संगम स्‍नान के लिए माघ मेले में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला दो दिन पहले ही शुरु हो गया था। लेकिन गुरुवार दोपहर तक माघ मेला आने वाले हर मार्ग पर स्‍नानार्थी ही नजर आ रहे थे। साधु संतों और पंडों के शिविर भर चुके थे। इसके बाद भी लोगों के आने का सिलसिला बदस्‍तूर जारी है।

तन के साथ मन भी शुद्ध करने का अवसर है मौनी अमावस्या

माघ मास की अमावस्या तिथि को मौन रहकर मुनियों के समान आचरण पूर्ण स्नान करने से जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। मौनी अमावस्या पर मौन रहकर स्नान व दान का विशेष महत्व है। स्नान से मानसिक समस्या, डर व वहम से निजात मिलती है। ज्योतिषाचार्य आशुतोष वाष्र्णेय ने बताया कि मात्र शरीर को धुलने का नाम ही स्नान नहीं है, वास्तविक स्नान तब पूर्ण होता है जब व्यक्ति का मन भी तन के साथ शुद्ध हो जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवत गीता में वाक्संयम को तप की संज्ञा दी है। मौन का अर्थ है संयम के द्वारा धीरे-धीरे इंद्रियों तथा मन को संयमित करना। समस्त सिद्धियों के मूल में मौन ही है। जैसे निद्रा से उठने पर शरीर, मन एवं बुद्धि में नई स्फूर्ति दिखाई देती है वैसे ही मौन रहने पर सर्वदा वही स्फूर्ति शरीर के साथ मन एवं बुद्धि में बनी रहती है।

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