वाराणसी, समाजवादी पार्टी के जिला एवं महानगर कार्यालय अर्दली बाजार वाराणसी पर वरिष्ठ समाजवादी नेता 'छोटे लोहिया' जनेश्वर मिश्र जी की 10वीं पुण्यतिथि मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष डॉ पीयूष यादव तथा संचालन जिला महासचिव डॉ रमेश राजभर एवं उपस्थित लोगों का आभार महानगर महासचिव जितेंद्र यादव ने किया। इस मौके पर समाजवादी विचारक पूर्व केन्द्रीय मंत्री जनेश्वर मिश्र का समाजवादी आंदोलन में अहम योगदान को याद किया गया। जिला एवं महानगर समाजवादी पार्टी वाराणसी के नेताओ व कार्यकर्ताओं ने स्व. मिश्र के चित्र पर पुष्प अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी व उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला।
सपा जिलाध्यक्ष डॉक्टर पीयूष यादव ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सोशलिस्ट नेता स्वर्गीय जनेश्वर मिश्र को नमन करते हुए कहा कि 'छोटे लोहिया' के दिखाए रास्ते पर चलते हुए कमजोरों को मजबूत करने का संघर्ष करते रहेंगे। छोटे लोहिया के नाम से मशहूर स्व. जनेश्वर मिश्र ने आजीवन समाज के दबे कुचले लोगों के हितों के लिए संघर्ष किया।
सपा महानगर अध्यक्ष राजकुमार जायसवाल ने कहा कि स्व.मिश्र का जीवन सादगी, ईमानदारी का प्रतीक था। समाजवादी आंदोलन के प्रमुख स्तम्भ स्व. मिश्र ने समाजवादी विचारधारा को बढ़ाने में पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह के कंधे से कंधा मिला कर चले व राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव उनके बताए मार्ग पर चल रहे है।
डॉ उमाशंकर सिंह यादव ने कहा कि जनेश्वर मिश्र के मन में गरीब, कमजोर और पीड़ितों के लिए करुणा थी। समाजवाद की लड़ाई में उनका योगदान हमेशा प्रेरणा का काम करेगा।
डॉ.आनन्द प्रकाश तिवारी अध्यक्ष प्रबद्ध प्रकोष्ठ ने कहा श्रद्धेय जनेश्वर मिश्रा जी के पूरे जीवन को आज जब हम समझने का प्रयास करते हैं तो यह बात सहज रूप से स्पष्ट हो जाती है कि समाजवाद मात्र एक राजनीतिक-सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था का सिद्धान्त ही नहीं अपितु समाजवाद एक जीवन-दर्शन भी है। समाजवाद मूलतः एक आचरण-दर्शन है, जिसमें सांस्कृतिक-संयम, करूणा, प्रेम, प्रतिरोध व बंधुत्व के साथ कथ्य और कर्म का ऐक्य एवं लोकहित की प्रतिबद्धता निहित है। आदरणीय जनेश्वर जी ऐसे ही नेता थे। वे अपने प्रण से कभी भी विचलित नहीं हुए। जो व्रत लिया उसे जीवन पर्यन्त निभाया।
महानगर महासचिव जितेंद्र यादव ने कहा कि श्रद्धेय जनेश्वर जी का अपना अंदाज था कार्यकर्ताओं में जोश भरने का, निराशा तोड़ने का, हताशा खत्म करने का और कर्म-पथ पर आगे बढने के लिए प्रेरित करने का ।
जिला उपाध्यक्ष संजय मिश्र ने कहा कि आदरणीय जनेश्वर जी अक्सर प्रतिबद्ध और दलबदलू नेताओं में अंतर मनोविनोद पूर्ण उदाहरण से समझाते थे -एक गाय का बछड़ा है और दूसरा भैंस का पाड़ा (पड़वा)। बछड़े को उसके खूंटे से खोलेगें तो वह अपनी ही माँ के थन में मुँह लगाता है जबकि पाड़ा (पड़वा) को खोल दें तो वह किसी भी गाय, भैंस के थन में ही नहीं बैल के नीचे, जहाँ थन होता है वहाँ भी मुँह लग देता है। तो ऐसा अन्तर होता है प्रतिबद्ध और दलबदलू नेता में। तात्पर्य यह कि सच्चा नेता अपने वैचारिक और जमींनी सरोकारों से कभी समझौता नहीं करता, स्वार्थ में अंधा होकर सिद्धान्तों से नहीं भटकता वहीं दलबदलू कहीं भी मुँह मारा करता है। आदरणीय जनेश्वर जी ने कितने सरल, सारगर्भित एवं लोक-संवेदना के साथ एकदम गंवई अंदाज में राजनीतिक-प्रतिबद्धता एवं सिद्धान्त-विमुखता को समझा देते थे । यही उनकी खूबी थी।
श्रद्धेय जनेश्वर जी के समाजवादी व्यक्तित्व को प्रणाम ।
उनकी तमाम नैतिकता, प्रतिबद्धता एवं संघर्षशील-समाजवादी स्मृतियों का हृदय और बुद्धि के एकात्म भाव से सादर नमन।
श्रद्धांजलि सभा में मुख्य रूप से जिलाध्यक्ष डॉक्टर पीयूष यादव, महानगर अध्यक्ष राजकुमार जायसवाल, जिला महासचिव डॉ रमेश राजभर, जितेंद्र यादव, डॉ उमाशंकर सिंह यादव, डॉ आनंद प्रकाश तिवारी, संजय मिश्र, भीष्म नारायण यादव, पूजा यादव, मोहम्मद असलम, शिव प्रसाद गौतम, वरुण सिंह, सत्यप्रकाश सोनू, रवि कांत विश्वकर्मा, हीरू यादव, रामकुमार यादव, सुलाब राजभर गोपाल पांडेय, गोविंद यादव, संदीप मिश्रा, विजय टाटा, यशवंत यादव, जिया लाल राजभर, इरशाद अहमद, विजय यादव बिज्जू, वसीम अकरम, दिनेश प्रताप सिंह गुड्डू, राजेश मौर्य, राजू यादव, सुरेश सेठ, सचिन प्रजापति, सावन सोनकर, विनोद शुक्ला रूपनारायण गौड़ उपस्थित थे।