जब शान-ओ-शौकत देखकर जनेश्वर मिश्र बोले- यार तुम नेता नहीं हो, समाजवादी तो एकदम नहीं

Update: 2020-01-22 03:06 GMT

 

आज भले ही नेता का मतलब शान-शौकत हो गई हो, पर पहले राजनीति में इसे बहुत बुरा माना जाता था। जनेश्वर मिश्र का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वह बेलौस नेता थे। कोई भी हो खरी-खरी सुना देते थे। राजनीति में सक्रिय लोग उनसे मिलने को लालायित रहते। जनेश्वर जी के लंबे समय तक निजी सचिव रहे एसएस तिवारी बताते हैं, एक दिन वह लखनऊ में थे। प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार में प्रभावी मंत्री रहे एक वरिष्ठ नेता ने मिश्र जी को अपने यहां बुलाया। नेता जी खुद गाड़ी चलाकर उन्हें लेकर अपने घर गए।

जनेश्वर जी जब अंदर पहुंचे तो नेता जी ने एक तरफ बंधे बड़े कुत्ते को दिखाते हुए कहा, यह मैंने विदेश से मंगवाया है। फिर उन्होंने अपने लॉन में रखे सजावटी गमलों की तरफ इशारा करते हुए कहा, मैं इनकी देखरेख खुद करता हूं। पौधे मैंने ही लगाए हैं। मिश्र जी उनसे हर एक काम पर लगने वाले समय और पैसे के बारे में पूछते रहे। नेता जी शान से बताते रहे। इसके बाद सभी लोग ड्राइंग रूम में पहुंचे तो कालीन और सोफा देखकर कहा, यह तो काफी महंगा लग रहा है।नेता जी बताने लगे कि किस चीज को कहां से मंगाया है।

मिश्र जी ने भोजन किया और जब चलने लगे तो बोले, यार तुम नेता नहीं हो। समाजवादी तो एकदम नहीं। तुम जब इतना समय और धन इन सब कामों पर खर्च कर देते हो तो लोगों का काम कब करते या कराते होगे। 

 

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