लखनऊ: रविवार की सुबह ट्विटर पर #कंबल_चोर_यूपी_पुलिस ट्रेंड कर रहा था। कुछ लोग युपी पुलिस पर कंबल चुराने का आरोप लगाते हुए तस्वीर और वीडियो शेयर कर रहे थे। लेकिन, अब यूपी पुलिस ने मामला साफ कर दिया है। दरअसल, सोशल मीडिया पर दिखाई जा रही तस्वीरें तो सही हैं लेकिन उनके साथ जो आरोप लगाए जा रहे हैं वह गलत हैं। पुलिस कंबल चुरा नहीं रही थी बल्कि उन्हें विधिक तरीके से कब्जे में लिया गया है।
पुलिस ने ये कार्रवाई तब की जब लखनऊ के घंटाघर पर महिलाएं संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) के विरोध में बिना अनुमति के प्रदर्शन कर रही थीं और कुछ संगठन उन्हें कम्बल वितरित कर रहे थे। पुलिस ने बताया कि 'आसपास के जो लोग धरने में सम्मिलित नहीं थे वह भी कम्बल लेने आ रहे थे। पुलिस द्वारा कम्बल और संगठन के व्यक्तियों को हटवाया गया तथा विधिक कार्रवाई की गई।'
घंटाघरपार्क में #अवैध_धरना_प्रदर्शन के दौरान
— Vikas Chandra Tripathi (@vctcop) January 19, 2020
कुछसंगठनों द्वारा कम्बल वितरित कराया जारहा था जिससे आसपास केलोग जो धरनेमें सम्मिलित नहींथे वहभी कम्बललेने आरहे थे #पुलिस द्वारा कम्बल एवम् संगठन के व्यक्तियों को हटवाया गया व विधिक कार्यवाही कीगई |कृपया #अफवाह न फैलाएं @lkopolice pic.twitter.com/ovHoviiAA6
पुलिस का कहना है कि कुछ सामाजिक संगठन इन महिलाओं को कंबल दे रहे थे तभी बड़ी संख्या में अन्य लोग जो इस धरने में शामिल नहीं थे, वे भी कंबल लेने के लिए वहां पहुंच गए। भीड़ और अफरातफरी को रोकने के लिए उन्होंने वहां से कंबल हटवाए हैं। बहरहाल, प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कहना है कि सरकार जब तक सीएए और एनआरसी को वापस नहीं लेती है तब तक वह अपना धरना समाप्त नहीं करेंगी।
महिलाओं के धरने को सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों का भी समर्थन मिल रहा है। शनिवार रात सिख समुदाय के कुछ लोगों ने धरना स्थल पर पहुंचकर महिलाओं को खाने पीने का सामान दिया। उन्होंने कहा कि सीएए के दायरे से जिस तरह से मुसलमानों को बाहर रखा गया वह देश की गंगा जमुनी तहजीब के खिलाफ है, लिहाजा वह इन महिलाओं का समर्थन करते हैं। हालातों के मद्देनजर मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। महिलाओं ने शनिवार रात पुलिसकर्मियों को गुलाब के फूल भेंट कर अनूठे तरीके से प्रदर्शन किया।