पीलीभीत : 7 दशक से नागरिकता के लिए तरस रहे थे 37 हजार लोग, सीएम योगी ने गृह विभाग को दिए आदेश

Update: 2020-01-05 10:02 GMT

पीलीभीत. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देश-प्रदेश में भले ही हिंसा हुई हो और एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी हो. लेकिन एक सच यह भी है कि जो लोग 1947 से लेकर 1970 तक पूर्वी पाकिस्तान और बांग्लादेश से हिंदुस्तान में आए उनकी अपनी एक अलग कहानी है. ऐसा ही एक इलाका यूपी के पीलीभीत का है. जहां पर मौजूद लोग गर्व से कहते हैं हम भी हिंदुस्तानी हैं और भारत माता की जय के नारे लगाते हैं.

हम भी हिंदुस्तानी हैं...

इन लोगों का दावा है कि हम भी हिंदुस्तानी हैं... हिंदुस्तान को ही अपना वतन मानते हैं, जब हम पाकिस्तान में थे तो हमारा उत्पीड़न हुआ धर्म परिवर्तन हुआ महिलाओं के साथ अत्याचार हुआ. जिसकी वजह से हम लोग यहां आए और अब सरकार हमें नागरिकता दे रही है. जिसका हम शुक्रिया अदा करते हैं. वहीं पीएम मोदी और सीएम योगी की तारीफ करते यह लोग नहीं थकते.

बता दें कि अकेले पीलीभीत में ही 37 हजार लोग हैं जिन्हें अब नागरिकता संशोधन कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी, हालांकि पूरे यूपी में यह संख्या 50,000 से अधिक की है. सभी जिलाधिकारियों की तरफ से यूपी के गृह विभाग को इस बात की सूची भेजी भेजी जा रही है, कि उनके जिलों में कितने हिंदू शरणार्थी हैं जिन्हें नागरिकता दी जानी है, यानी आने वाले समय में ये गर्व से कहेंगे हम भी हिंदुस्तानी.

1960 में आए थे पीलीभीत

दरअसल पीलीभीत के रामनगर में बाजार में जहां पर बड़ी तादाद में लोग पूरे पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हैं. यहां बस चुके हैं यह कैसे रहते हैं. इन लोगों को नागरिकता देने के लिए सरकार तैयारी कर रही है जो उत्तराखंड व नेपाल का बॉर्डर है. यहां पर कुछ लोगों ने मिठाई की दुकानें खोल रखी हैं. एक बुजुर्ग शोभन दास हैं जो 1960 में आए उन्होंने बताया उस वक्त वहां बहुत आगजनी हो रही थी और बहुत आग जलाया था हिंसा हो रही थी उस वक्त हम लोग 1960 में यहां आ गए. कुछ लोग कैंप में चले गये, ज्यादा लोग मजदूरी करके जीवन यापन करते थे. धीरे-धीरे जहां पर माहौल ठीक था वहां पर चले जाते थे. चेहरे पर मुस्कान लिए चितरंजन अब पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद कह रहे है.

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