गुजरातः 300 करोड़ के आभूषणों से हुआ मां बाला त्रिपुरा सुंदरी बहुचरा का श्रृंगार

Update: 2019-10-10 11:18 GMT

मेहसाणा: दशहरे के दिन बहुचराजी मंदिर से लेकर मां बाला बहुचरा की एक अनोखी यात्रा का आयोजन हुआ था. यहां निकलने वाली पालखी यात्रा की एक खासियत यह है, कि यहां माताजी को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. इतना ही नहीं इस दिन माताजी को गायकवाड़ के समय का नौलखा हार भी पहनाया जाता है, जिसकी आज की कीमत 300 करोड़ रूपये से ज्यादा है.

बाला त्रिपुरा सुंदरी मां बहुचरा का मंदिर पिछले तीन सौ सालों से लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र बना है. इस मंदिर में माताजी को रोज नए अनमोल आभूषण पहनाने की प्रथा गायकवाड़ समय से चलती आ रही है, लेकिन इन सभी आभूषणों में जो सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र होता है तो वह है उस जमाने का 9 लखा हार, जिसकी आज की कीमत 300 करोड़ से ज्यादा है. यह हर सालों पहले देवी मां को मानाजीराव गायकवाड़ की ओर से भेंट के रूप में दिया गया था. तब से मंदिर में हर दशहरे पर इस हार को माताजी को पहनने की परंपरा चलती आ रही है.

पांच साल पहले ज्वेलर्स की ओर से इस हार की जो कीमत आंकी गई थी, वह 300 करोड़ से भी ज्यादा मूल्य का था. इस हार को सुरक्षा की वजह से बाकि के अलंकारों से अलग रखा जाता है, लेकिन दशहरे के दिन चुस्त पुलिस बंदोवस्त के बीच इस हार को माताजी को पहनाया जाता है और सालों से चली आ रही यह परंपरा आज भी कायम है. तीन सौ साल पहले मानाजीराव गायकवाड़ को पीठ का रोग हुआ था और माताजी के दर्शन के बाद वो ठीक हो गया था. तब मानाजी ने माताजी को भेंट के रूप में उस जमाने का सबसे कीमती नौलखा हार चढ़ाया था.

उस समय इस हार की कीमत 9 लाख रूपए थी. तब से इस हार को नौलखा हार ही कहा जाता है. पहली बार देखने पर यह हार सामान्य ही नजर आता है, लेकिन इस हार में अलग-अलग रंग के कीमती नीलम लगे हैं और नजदीक से देखने के बाद इसकी चमक अलग ही नजर आती है. हार में जड़े हुए एक-एक नीलम की कीमत करोड़ों में आंकी जाती है. इस वजह से पूरा साल इस हार को सुरक्षित स्थान पर रखा जाता है. सिर्फ दशहरे के दिन ही इसे माताजी को अर्पित किया जाता है और उस वक्त कड़ी सुरक्षा रहती है.



 



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