वैसे 'सर्व शिक्षा अभियान' की वास्तविकता से कोई भी अनजान नहीं है, इस अभियान के तहत गुरूजी तनख्वाह तो मोटी उठाते हैं लेकिन शिक्षा का स्तर क्या है वह किसी से छिपा नहीं है. अभी कुछ दिनों पहले ही बुंदेलखंड में मुख्यमंत्री ने शिक्षकों द्वारा दी जा रही शिक्षा की कलई खोल कर रख दी थी. इसके बाद मुख्यमंत्री ने सख्त चेतावनी देते हुए अधिकारीयों को इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए थे. लेकिन सहारनपुर के इस माध्यमिक विद्यालय को देखकर लगता है कि अधिकारी खुद मुख्यमंत्री के मंसूबों पर पलीता लगाने में जुटे हुए हैं.
इसके अलावा कहीं टीचर्स को राष्ट्रपति का नाम नहीं पता तो कोई राष्ट्रगान के बारे में ही नहीं जनता. इन सब के बीच यूपी के सहारनपुर से चौंकाने वाली खबर आ रही है. यहां नानौता ब्लॉक के बहेड़ा गांव के माध्यमिक विद्यालय में तो चपरासी ही बच्चों को पढ़ा रहा है.इतना ही नहीं पूरे दो माह से इस विद्यालय में ना ही कोई शिक्षक आया है और ना जिले के आलाधिकारियों ने इसकी सुध ली. जिसके चलते 50 होनहार बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा. बेचारे छात्र बिना गुरु के तालीम से महरूम हो रहे है.
सूबे के मुखिया अखिलेश यादव के लाख निर्देशों के बावजूद शिक्षा विभाग के अधिकारी सर्व शिक्षा अभियान को पलीता लगा रहे हैं. ईटीवी/प्रदेश18 ने सरकारी स्कूल की जमीनी हकीकत का जायजा लिया जिसमें अधिकारियों की लापरवाही सामने आई. और इसकी सजा 50 छात्रों को चुकानी पड़ रही है.