सवाल ये भी है... कौन किसे मानेगा लीडर, अखिलेश का नेतृत्व स्वीकार करना माया के लिए आसान नहीं

Update: 2018-03-05 02:08 GMT
सवाल यह भी है कि मायावती और अखिलेश में कौन किसे लीडर मानेगा। यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि दोनों ही नेताओं का मुख्य आधार यूपी ही है। बसपा ने जब मुलायम को मुख्यमंत्री स्वीकार किया था, तब कांशीराम न तो मुख्यमंत्री रहे थे और न ही मायावती तब इतनी प्रभावशाली थीं। पर, कुछ ही दिन बाद उनकी जिस तरह मायावती की महत्वाकांक्षा जगी और स्टेट गेस्ट हाउस कांड जैसा घटनाक्रम हुआ, उसको देखते हुए मायावती के लिए किसी दूसरे का या अखिलेश के नेतृत्व को स्वीकार कर लेना बहुत आसान नहीं दिखता। यही स्थिति अखिलेश के लिए भी है।
अखिलेश के लिए 'घर' ही सबसे बड़ी चुनौती
भले ही अखिलेश व मायावती में अतीत की गेस्ट हाउस कांड जैसी घटनाओं को लेकर बहुत तल्खी न हो, लेकिन मुलायम और शिवपाल जैसे नेताओं के लिए मायावती के साथ सहज रिश्ते रख पाना और मायावती का इन नेताओं के साथ सहज रिश्ते रखना बहुत आसान नजर नहीं आता। मुलायम व शिवपाल के लिए किसी भी परिस्थिति में मायावती को नेता स्वीकार कर पाना आसान नहीं है।
जमीनी स्तर पर भी बसपा और सपा के कार्यकर्ताओं के बीच रिश्ते मधुर नहीं रहे हैं। ऐसे में अखिलेश के सामने इस संभावित गठबंधन को लेकर अपने घर में ही विरोध का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही जमीनी स्तर पर भी इसे स्वीकृति दिलाने में कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है।

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