पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा बसपा के साथ चुनावी गठजोड़ के संकेत दिए थे. हालांकि बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा गुरुवार को इन अटकलों को सिरे से ख़ारिज कर दिया. दिल्ली में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि अभी सपा-बसपा गठबंधन को लेकर कोई बातचीत नहीं है जब ऐसी कोई बात आएगी तो देखा जाएगा.
सतीश चंद्र मिश्रा ने मायावती के उपचुनाव लड़ने का भी खंडन किया. उन्होंने कहा कि मायावती फूलपुर लोकसभा सीट के लिए होने वाले चुनाव को नहीं लड़ेंगी.
सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि पार्टी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए जनता दल सेक्युलर के साथ गठबंधन किया है. पार्टी 2019 में सरकार बनाने के लिए तैयारियों में जुटी है.
एक सवाल के जवाब में मिश्रा ने कहा कि पार्टी का वोट परसेंट लगातार बढ़ रहा है. 2014 के लोक सभा चुनाव में भी पार्टी पूरे देश में तीसरे नंबर पर रही थी. 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ईवीएम में धांधली के बावजूद पार्टी का वोट परसेंट बढ़ा. हाल ही में संपन्न नगर निकाय चुनाव में भी पार्टी के सबसे ज्यादा कॉर्पोरटर जीते, जबकि बीजेपी तीसरे नंबर पर पहुंच गई. हमारा वोट प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है.
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आगामी लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन के संकेत देते हुए कहा था कि वे समाजवादी हैं और उन्हें किसी से भी हाथ मिलाने में कोई गुरेज नहीं है. सूरत में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि मायावती से उनका कोई झगड़ा नहीं है. समाज में व्याप्त आर्थिक अराजकता की वजह से अगले लोकसभा से पहले तीसरा मोर्चा अस्तित्व में आ सकता है.
अखिलेश यादव ने कहा, " सभी विपक्षी दलों और उनके नेताओं के साथ मेरे अच्छे संबंध हैं. हम समाजवादी लोग हैं. सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास करते हैं. हम हर किसी का साथ ले लेंगे. अगर आपके कहने पर तैयार हो जाएं तो हम उनका साथ ले लेंगे. लेकिन ऐसा होगा कैसे. समय आने पर पता चल जाएगा कि गठबंधन होगा की नहीं. मैंने बुआजी (मायावती) से बात नहीं की है, लेकिन उनसे भी मेरे अच्छे संबंध हैं."
गौरतलब है कि पिछले साल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद समाजवादी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. जिसके बाद अखिलेश यादव ने 2019 में कांग्रेस के साथ गठबंधन न करने के संकेत भी दिए थे. अखिलेश यादव ने कांग्रेस को दी गई सीटों पर हार की समीक्षा के बाद यह बात कही थी. दरअसल पार्टी नेताओं का मानना था कि कांग्रेस के साथ गठबंधन का पार्टी को चुनाव में कोई फायदा नहीं मिला. हालांकि अखिलेश ने कहा था कि राहुल के साथ उनकी दोस्ती बरकरार रहेगी.