सपा के नवनिर्वाचित सभासद ने चुनी मौत, मृतक के परिजनों की समाजवादी पार्टी जिला इकाई पूरी तरह से बच्चों की मदद करेगी
महोबा चरखारी निकाय चुनाव में छोटा रमना वार्ड से सभासद चुने गए लालता प्रसाद अहिरवार ने रविवार को घर में फंदे से लटककर जान दे दी। उनकी जेब से जिलाधिकारी व मुख्यमंत्री के नाम संबोधित दो सुसाइड नोट मिले।
सुसाइड नोट में गरीबी के चलते आत्मघाती कदम उठाए जाने की बात लिखी है। चरखारी थाना क्षेत्र के छोटा रमना मोहल्ले के लालता प्रसाद अहिरवार (42) पुत्र स्वर्गीय कालीचरण अहिरवार मेला ग्राउंड में स्थित कांशीराम कालोनी में रहते थे। उनके तीन बच्चे हैं। बड़ा बेटा अमित अहिरवार 17, रचना 13 और अंकित 10 साल का है। दोनाें छोटे बच्चे परिषदीय विद्यालय में कक्षा छह और तीन में पढ़ते हैं। अमित ने बताया कि सात साल पहले मां की मौत के बाद से घर-बाहर की जिम्मेदारी पिता पर ही थी। लालता प्रसाद मजदूरी करने के साथ ही समाचार पत्र भी बांटते थे। अमित ने बताया कि कभीकभार वह भी मजदूरी कर घर खर्च में पिता की मदद करता था। बीपीएल कार्ड से मिलने वाले खाद्यान्न से भरण-पोषण नहीं हो पाता है। घर की आर्थिक स्थिति को लेकर पिता खासे परेशान रहते थे। हाल ही हुए निकाय चुनाव में लालता प्रसाद ने छोेटा रमना वार्ड की आरक्षित सीट से सभासद का चुनाव समाजवादी पार्टी से लड़ा और जीत दर्ज की। बेटे का कहना है कि चुनाव लड़ने के लिए परिजनों ने पांच हजार रुपये की मदद की थी।
अमित के मुताबिक वह रविवार सुबह भाई-बहन के साथ कस्बे के ही छोटा रमना मोहाल निवासी चाचा मोहनलाल के यहां गया था। इस दौरान एकांत पाकर पिता ने फंदा बनाया और पंखे के हुक से लटककर आत्महत्या कर ली। दोपहर बाद पड़ोसी मुन्ना किसी काम से उनके घर गया। आवाज देने के बाद भी दरवाजा न खुलने पर आसपास के लोगों को बुलाया। लोगों की सूचना पर आए कोतवाली प्रभारी नंदराम प्रजापति ने दरवाजा तुड़वाया तो लालता प्रसाद का शव लटक रहा था। पुलिस ने शव उतरवाकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। अपर पुलिस अधीक्षक वंशराज यादव व तहसीलदार सुबोध मणि ने भी मौका मुआयना किया।
चरखारी महोबा में हाल ही हुए निकाय चुनाव में छोटा रमना वार्ड से चुने गए सभासद लालता प्रसाद के आत्महत्या करने के बाद से बच्चों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। बचपन में मां के मौत के बाद पिता के सहारे जिंदगी जी रहे तीनों बच्चे अब पिता की मौत के बाद अनाथ हो गए। छोटे बच्चों का रो रोकर बुरा हाल है।
कांशीराम कालोनी निवासी लालता अहिरवार अपने मां बाप का इकलौता बेटा था। बीए तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद नौकरी न मिलने पर वह अखबार बेचकर बच्चों का पालन पोषण करने लगा। गरीबी के कारण बड़े बच्चे हाईस्कूल के बाद पढ़ाई छुड़ा दी। बड़ा बेटा मजदूरी करता था। लाल राशन कार्ड से उसे महीने में 20 किलो गेहूं और 15 चावल मिल जाता था। जिससे बच्चों का पेट तो भर जाता था। लेकिन मजदूरी न मिलने से अन्य खर्च के लिए परेशान रहता था।
पिता के आत्महत्या करने के बाद अब बच्चाें की परवरिश करने वाला कोई नहीं है। पहले मां और पिता की मौत से बच्चे पूरी तरह टूट गए है। हालांकि समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष ने पदाधिकारियाें और सदस्यों से सहयोग लेकर मदद की बात कहीं है। बच्चों को सांत्वना देने वालों का सारा दिन तांता लगा रहा। तीनों भाई बहनों का रो रोकर बुरा हाल रहा।
सपा के सिंबल से निकाय चुनाव मेें जीत हासिल करने बाद सभासद खासा खुश था। इतना ही जीत के बाद घर घर जाकर सभासद ने मतदाताओं का आभार जताया। अब उसे 12 दिसंबर का शपथ ग्रहण समारोह का बेसब्री से इंतजार था। लेकिन अचानक उसने जिंदगी को अलविदा कह दिया इसका किसी को अंदाजा भी नहीं था।
चरखारी कस्बे के छोटा रमना से पहली बार चुनाव लड़े और जीत दर्ज करने वाले गरीब प्रत्याशी ने चंदा कर परिजनों की मदद से पांच हजार रुपये में चुनाव लड़ा। मृतक के बड़े बेटे अंकित का कहना है कि नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए दो हजार रुपये चचेरे भाई ने और चुनाव लड़ने के लिए तीन हजार रुपये मृतक के चाचा ने दिये थे। समाजवादी पार्टी महोबा जिला अध्यक्ष शोभा लाल यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी के सिंबल पर चुनाव जीते लालता प्रसाद अहिरवार ने कभी भी अपनी गरीबी परेशानी के बाबत चर्चा नहीं की, अन्यथा उसकी मदद की जाती। मृतक के परिजनों की समाजवादी पार्टी जिला इकाई पूरी तरह से बच्चों की मदद करेगी।