ये एक सत्यकथा है, नाम भी सत्य ही हैं। इसमें मजाक के साथ एक गंभीर बात भी है, जिस पर मैं आप सबसे चर्चा करना चाहता हूँ।
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"अबे बड़ा भड़का हुआ सांड लग रया है, ऐसा क्या हो गया सुबह सुबह? आज फिर बीबी ने नाश्ते में लौकी खिला दिया क्या? खीखीखी" मैंने अपना बैग ऑफिस में विनोद के बगल में रखते हुए पूछा।
वो और भड़क कर बोला, "साड़े चुप कर, नहीं तो अभी मनीष के हिस्से का गुस्सा तेरे पर ही निकाल दूंगा।"
"अमां यार, क्या हो गया?"
"यार जब देखो तब ये मनीष साड़ा मेरे कू 'चाचा' बोल देता है। खुद तो 32 साल का गंजा हो गया है, शादी हुई नहीं उसकी। लेकिन मैं अभी 29 का ही हूँ। अब मेरी शादी जल्दी हो गई, मेरा बड़ा बेटा तीसरी में पढता है, तो साड़ा मैं ज़माने भर का चाचा हो गया??"
"अबे मजाक में लोग बोल देते हैं, इसमें इतना चिढ़ने की क्या बात है। कोई बाहरी तो तुम्हें चाचा ताऊ नहीं न कह रहा है? अपने ऑफिस के लोग हैं यार, एक परिवार की तरह हैं। इसमें हँसी मजाक को हँसी मजाक की तरह ही लेना चाहिए। और हाँ, मजाक करने वाले को इसकी मर्यादा का ध्यान, सामने वाले की इज्जत का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।"
"हाँ वही तो कह रहा हूँ मैं। अब तू मुझे ताऊ बोलता है, मैंने कभी बुरा माना? तेरे अध्यात्म वाले लेक्चर पर मैं तेरे को दादा जी बोल देता हूँ, तू कभी बुरा माना? यार कई वजहें होती हैं, जिनका ध्यान न रखा जाय तो "नमस्ते" भी बुरा लग जाएगा।"
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मैंने बात को थोडा गंभीरता की ओर मोड़ा,.. "अच्छा एक बात बता विनोद, क्या तुझे कभी नहीं लगता कि तेरे मम्मी पापा ने तेरी शादी बहुत जल्दी कर दी? बालविवाह टाइप? ऐसा नहीं लगता कि थोडा और मेच्योर होने देते तुझे, मानसिक और शारीरिक भी?"
विनोद बात को समझते हुए बोला,. "देख, मैं समझ रहा हूँ कि तू क्या कहना चाहता है। शुरू के कुछ सालों तक मुझे बहुत बुरा लगता था। लेकिन जैसे जैसे मैं मेच्योर हुआ, मुझे समझ आया कि मेरे पापा ने बहुत ही अच्छा किया था मेरे लिए।"
मैं चौंक गया,.. "ऐसा क्या अच्छा है इसमें बे?"
"देख, इसमें हमारे बड़ों ने कितनी गणित लगाया है। मैंने हाईस्कूल 15 साल में कर लिया। फिर और 3 साल में डिप्लोमा कर लिया। 19वें साल में मेरी जॉब लग गई। 21वें में पापा ने मेरी शादी कर दी। अब सोच कि मेरे पापा की उमर अब जाकर 41 साल हुई, और उनका लड़का अपने पैरों पर खड़ा होकर अपने परिवार की गाड़ी अपने दम पर खींच सकता है। यानि की उनकी सरकारी नौकरी अभी 19 साल और चलती, उसके बाद उनके पेंशन की भी मुझे जरुरत नहीं है। कहने का मतलब यह है कि वे अपनी जिन्दगी बिंदास जी सकते हैं, दुनिया के हिसाब से 41 का आदमी भी "जवान" ही होता है।"
"अरे, लेकिन जो लोग ज्यादा उमर में शादी करते हैं, उनके बच्चों को ही क्या दिक्कत हो सकती है भाई? वे भी तो अपने पैरों पर खड़े हो ही सकते हैं न?"
"भाई, पॉइंट को समझ। अगर मेरी जॉब जल्दी नहीं भी लगती, तो मेरे बाप के पास पूरे 19 साल थे, मुझे बिठा कर खिलाते खिलाते सेटल करने के लिए। लेकिन जो खुद 35 साल में शादी करेंगे, पहले तो वो अपनी जिन्दगी जीने के ढकोसले के नाम पर जल्दी बच्चा पैदा करते नहीं। अब बहुतों के तो बच्चे ही नहीं होते इस उमर में। किसी को वजन बढ़ जाने की प्रॉब्लम है, तो किसी को डाईबिटिज की। 4-5 साल बाद किसी तरह बच्चा पैदा भी हुआ तो, उनकी उमर पहुँचती है चालीस के लपेटे में। तबतक एक्चुअली इंसान प्रौढ़ हो चुका होता है।
"अबे क्या बकचोदी कर रहा है? अभी कहा तेरे पापा 41 के हैं और वो जवान हैं !! अब कह रहा है कि 41 साल का इंसान प्रौढ़ हो गया? मने कुछ भी??
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विनोद बोला,.. "बेटा, इसमें समझने की जरुरत है !! एक 41 साल का इंसान अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त होकर, अपनी लाइफ खुल कर जीने के लिए आजाद हो चुका है !! अब वो चाहे गोल्फ खेले, या दुनिया घूमने पर निकल जाए उसको किसी भी बात की चिंता नहीं होगी !! लेकिन दूसरा 41 साल का इंसान अभी अभी बाप बना है, जिम्मेदारियां तो उसकी अब शुरू हुई हैं !! और वो अब अपनी जिम्मेदारी को मरने की आखिरी घड़ी तक ढोएगा !! अपने अपने विचार हैं बंधू !!"
वो आगे बोला,. "अब 'इन 41 साल की उमर में बाप बनने वालों की गणित' से,.. वो बच्चा जब नौकरी के लिए, शादी के लिए तैयार होगा, तो इनकी उमर पहुँच चुकी होगी 65-70 के लपेटे में। अब इस उमर के लोग कितनी मदद कर सकते हैं अपने बच्चे को सेटल करने, शादी करके एक जिम्मेदार अनुभव प्रदान करने में?? और इस उमर के व्यक्ति की शादी भी कोई 18-20 साल की लड़की से तो होगी नहीं। वो भी कम से कम 30-35 के लपेटे में होगी। मतलब कि वो भी मेच्योर हो चुकी होगी। 'अहम्' की भावना उसके अन्दर भी उबाल मार रही होगी। वो क्यों सास ससुर या अपने पति कीकोई बात सुनेगी?"
उसने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा, "इस उमर में सेक्स में भी वो आकर्षण नहीं रह जाता है, जो टूटते रिश्ते को संभाल सके। जबकि कम उमर के सेक्स में एक जबरदस्त आकर्षण रहता है। प्रेम की डोर मजबूत रहती है। लोग सिर्फ अपनी नहीं सोचते, दूसरे की भावनाओं का भी सम्मान करते हैं। सास ससुर की बातें उतनी बुरी नहीं लगतीं हैं, क्योंकि मन खुद को एक बच्चा ही मान रहा होता है, जो बिना गलती के भी डांट खाने को अपने इगो पर नहीं लेगा। बड़ी उमर में 'मैं ही सही हूँ, बाकी सारे मूर्ख हैं' ये भावना बहुत प्रबल होती है, और यही सारे मुसीबत की जड़ होती है।"
मैं ध्यान से उसकी बात सुनता रहा,..
"अब देख मेरी दादी की उम्र 70 साल के आसपास है, और उनका पड़पोता 7-8 साल का हो चुका है। अब अगर मेरी माँ, जो कि 47-48 साल की है, वो अगर मेरी दादी से कुछ बुरा बर्ताव करेगी, तो मेरी बीबी भी यही सीखेगी, और मेरे माँ बाप के साथ वैसे ही करेगी। इसलिए मेरी माँ कभी भी उनके साथ ऐसा नहीं करेगी। याद रखना शुकुल, जिस घर में तीन पीढियों की औरतें-पुरुष जिन्दा हों, उस घर के वृद्ध लोग कभी भी 'वृद्धाश्रम' नहीं जायेंगे। जल्दी शादी हो जाने से कई बुरी आदतों से इंसान बचा रहता है। रेप जैसी सामाजिक त्रासदियाँ भी बहुत कम हो जाती हैं। ऐसे घर हमेशा खुशहाल रहते हैं, जिनमें बड़ों के साथ 'बुजुर्गों' का भी आशीर्वाद मिलता रहे। कोई भी झगडा हो, कलह हो,.. सब आपस में निबट जाता है हँसी ख़ुशी।"
"इसलिए शुक्ला, मेरा अब यही मानना है कि शादी 21 से 25 तक अवश्य हो जानी चाहिए।"
वो काफी कुछ बोलता रहा, और मेरी आँखों के सामने मेरे नाना जी का भरा पूरा संयुक्त परिवार नजर आ रहा था।
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(नोट- मैं अपने मित्रों से कहना चाहूँगा कि इस विषय पर विचार पक्ष या विपक्ष, जो सही लगे दें अवश्य।)
इं. प्रदीप शुक्ला
गोरखपुर