तो इसलिए, सपा मुखिया अखिलेश यादव 9 अगस्त को करेंगे "देश बचाओ देश बनाओ" रैली

Update: 2017-08-03 10:55 GMT
9 अगस्त हिन्दुस्तानियो के लिए एक महत्वपूर्ण दिन हैं और हमेशा बना भी रहेगा। ब्रिटेन को द्वितीय विश्वयुद्ध में उलझता देख और क्रिप्स मिशन की विफलता के पश्चात महात्मा गांधी ने मोके की नजाकत को भाँपते हुए 8 अगस्त की शाम को बम्बई में हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में 9 अगस्त से "अंग्रेजो भारत छोड़ो" आंदोलन का आह्वान कर दिया तथा देश की जनता से "करो या मरो का नारा दिया।
9 अगस्त चुनने के पीछे एक तर्क ये भी हैं की 9 अगस्त को ही 1925 में रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में "हिन्दुस्तान प्रजातंत्र संघ" के सदस्यों ने "काकोरी कांड" को अंजाम देकर सनसनी मचा दी थी जिसके बाद भगत सिंह ने 9 अगस्त को "काकोरी काण्ड स्मृति दिवस" मनाना शुरू कर दिया था।
ख़ैर गांधी जी के आह्वान के बाद ब्रिटिश प्रशासन के हाथ पैर फूल गए तथा आनन् फानन में 8 अगस्त की शाम को ही महात्मा गांधी तथा सरोजिनी नायडू को गिरफ्तार कर लिया गया और पुणे के आगा खान पैलेस,राजेंद्र प्रसाद को पटना तथा बाकियो को अहमदनगर भेज दिया गया आलम ये था की 9 अगस्त की सुबह तक कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सभी सदस्यों को जेल में डाल दिया गया।
लेकिन 9 अगस्त की सुबह छोटे कद के लाल बहादुर शास्त्री जी और भूमिगत रहे समाजवादी जयप्रकाश नारायण जी ने आंदोलन को और तेज कर दिया और शाम होते होते आंदोलन बहुत तेज हो गया और देश भर में फैलता चला गया इसकी सबसे खास बात ये थी की युवाओ को इस आंदोलन ने सबसे ज्यादा आकर्षित किया नवजवानो ने स्कूल,कॉलेज छोड़कर जेल जाना ज्यादा उचित समझा।
उधर समाजवादियो का एक धड़ा जिसमे राममनोहर लोहिया,पटवर्धन,रामनन्दन मिश्रा,सदाशिव जोषी,मोहनलाल सक्सेना,पूर्णिमा बनर्जी,अरुणा आसफ अली,सादिक अली,पुरषोत्तम दास,साने गुरूजी तथा सुचेता कृपलानी के नेतृत्व में एक केंद्रीय संचालन मंडल का गठन किया गया जिन्होंने भूमिगत रहकर आंदोलन को तेज करने का काम किया और पश्चिम में सतारा तथा पूर्व में मेदनीपुर में आजाद सरकारो की घोषणा कर दी गयी 19 अगस्त को लाल बहादुर शास्त्री जी की भी गिरफ़्तारी कर लिया गया।
आंदोलन ने दिन पर दिन रोद्र रूप धारण कर लिया वास्तव में ये एक जनांदोलन बन चुका था, समाज का हर वर्ग इस आंदोलन के साथ था आंदोलन 1वर्ष से ज्यादा दिन तक चला और पहले से ही कमजोर हो चुकी अंग्रेज सरकार की चूले दिन प्रतिदिन हिलती चली गयी इसी दौरान लोहिया जी ने लोगो में चेतना जगाने के लिए "जंग जू आगे बढ़ो,क्रांति की तैयारी करो" तथा "आजाद राज्य कैसे बने" नामक पुस्तके भी लिखी। कई वर्षो तक भूमिगत रहने के बाद लोहिया जी को 20 मई 1944 को गिरफ्तार करके लाहौर किले में कैद किया गया, जहा उनके साथ भारी अमानवीय सलूक हुआ तथा 15-15 दिन तक उन्हें सोने नही दिया गया उन्हें पेस्ट और ब्रश जैसी मूलभूत चीजे भी उपलब्ध नही कराई गयी, लोहिया जी के लिए हेबियस कारपस की दरख्वास्त डालने के कारण उनके वकील जीवनलाल कपूर तथा समाजवादी जयप्रकाश नारायण को "स्टेट प्रिजनर" घोषित किया गया। गांधी जी और कांग्रेस के बाकी सदस्यों को जून 1944 में रिहा कर दिया गया था इसके बाद सबसे आखिर में लोहिया जी को 11 अप्रैल 1946 में रिहा किया गया।
दिल्ली सेंट्रल असेंबली में दिए गए सरकारी आंकड़े के अनुसार भारत छोड़ो आंदोलन को कुचलने के दौरान अंग्रेजी सरकार द्वारा 940 भारतीय लोगो को मौत के घाट उतार दिया गया 1630 लोग घायल हुए 18000 को नजरबन्द किया गया तथा 60229 लोगो को गिरफ्तार किया गया जबकि असल आंकड़े इससे भी कही ज्यादा हैं।
भारत के वर्तमान परिवेश में जब अराजकता चरम पर हैं,सरकार निरंकुश हो गयी हैं छात्रो,मजदूर ,कर्मचारियों की आवाज को दबाया जा रहा हैं।
सरकार के खिलाफ बोलने पर लोगो को जेल में डाला जा रहा हैं सरकारी मशीनरी का प्रयोग करके लोकतंत्र की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा हैं। सीबीआई,प्रवर्तन निदेशालय,आयकर जैसी संस्थाये सरकार के इशारे पर विपक्षियो का दमन कर रही हैं तब वर्तमान परिस्तिथियों में समाजवाद के सबसे बड़े झंडाबरदारों में से एक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी ने 9 अगस्त को "देश बचाओ देश बनाओ" रैली का आह्वान करके इसकी प्रासंगिकता को और भी बढ़ा दिया हैं।.....

. (प्रीति चौबे राष्ट्रीय सचिव युवजन सभा)

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