यूपी में लग गई दो 'विधानसभा'

Update: 2017-07-24 09:48 GMT
यूपी विधानसभा में सोमवार को सरकार और विपक्ष में टकराव का असर बीजेपी विधायक मथुरा पाल के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त करने में भी दिखाई दिया.
जानकारी के अनुसार यूपी के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब विपक्ष ने किसी सदस्य की मौत पर भी सियासत की. सरकार से टकराव को आधार बनाते हुए सोमवार को विपक्षी सदस्यों ने सदन से बाहर अलग सेंट्रल हॉल में विधायक के निधन पर शोक ​व्यक्त किया.
विपक्षी सदस्यों ने इस दौरान सेंट्रल हाल को ही सदन बना लिया. बीएसपी के लालजी वर्मा इस दौरान पीठाधीश्वर बने, वहीं कांग्रेस से अजय कुमार लालू और सपा से राम गोविंद चौधरी और बीएसपी से उमाशंकर सिंह ने शोक प्रस्ताव पढ़ा. इसके बाद विपक्ष ने मथुरा पाल के निधन पर रखा 2 मिनट का मौन रखा.
इस दौरान नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने कहा कि सत्त्ता पक्ष विरोधी पार्टी को लोगों को धमका रहा है. अपनी पार्टी के काम का प्रचार कर रहे हैं तो सम्पूर्ण सदन ने सदन का बहिष्कार किया है.
चूंकि एक विधान सभा सदस्य का निधन हो गया है तो लालजी वर्मा ने अध्यक्ष की भूमिका निभाई और सभी विरोधी दल के नेताओ ने शोक संवेदनाएं प्रकट की और सदन की कार्यवाई स्थगित कर दी गई है.
वहीं बीएसपी के लालजी वर्मा ने कहा कि एक विधानसभा सदस्य का निधन हुआ था. हम सभी ने फैसला किया कि सेंट्रल हाल जो विधानसभा का ही अंग है. वहां हमने सभी नेताओं ने मिलकर माननीय विधायक के निधन पर शोक जताया.
बीएसपी और कांग्रेस ने नेता सदन के मथुरा पाल के निधन पर शोक सभा मे शामिल न होने पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब वर्तमान विधायक के निधन पर नेता सदन ने विधानसभा मे शोक संवेदना नहीं पढ़ा. जिसके बल पर दल सत्ता में आया, उस दल के विधायक के निधन पर बोलने के लिए मुख्यमंत्री योगी के पास 2 मिनट भी नही थे.
कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू ने कहा कि ये मुख्यमंत्री अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं. मुख्यमंत्री जहां जाते हैं, उनके पहुचने से पहले ही बड़ी वारदातें हो रही हैं.
सपा के राम गोविंद चौधरी ने ऐलान किया कि सभी विपक्षी दल 26 जुलाई को एक बार फिर विधानसभा के सेंट्रल हाल में जुटेंगे और उसके बाद आगे की रणनीति तय करेंगे.

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