हल्की से बरसात हुई क्या शहर में गड्ढामुक्त अभियान की पोल खुल गयी है। गड्ढों की गिट्टियां उखड़कर सड़क पर बिखरनी शुरू हो गयी हैं। सड़कों पर गड्ढे फिर से उभरने लगे हैं। जबकि पहले से बनी सड़कें जस की तस पड़ी हैं। इससे नगर निगम व पीडब्ल्यूडी की कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। वरुणपार इलाकों में मुख्य मार्गों व कॉलोनियों की सड़कों की हालत सबसे खराब है। गड्ढों को भरने के लिए नियत समय 15 जून बीता, फिर 30 जून लेकिन शत-प्रतिशत कार्य पूर्ण नहीं हो सके। पीडब्ल्यूडी के कार्यों पर पूर्व मंत्री शतरुद्र प्रकाश ने सवाल भी उठाए थे कि बिना गड्ढा भरे सड़कों को भी गड्ढामुक्ति अभियान में शामिल कर शासन को रिपोर्ट भेज दी गयी। गड्ढा भरने के कार्यों की गुणवत्ता अब सामने भी आ रही है। एक ही बरसात में गड्ढे फिर से झांकने लगे हैं। कैंट-लंका मार्ग, लहुराबीर-मैदागिन, चौकाघाट-नदेसर, पांडेयपुर-पहड़िया, आशापुर से कज्जाकपुरा, डीएलडब्ल्यू-बीएचयू , बीएचयू-सामनेघाट मार्ग सहित दर्जनों मार्ग की स्थिति फिर बदहाल हो गयी है। वरुणापार में कई इलाकों में सीवर कनेक्शन की वजह से सड़कों का मरम्मत नहीं कराया गया। सीवर कनेक्शन तो हुआ नहीं लेकिन बारिश होने से उन सड़कों पर चलना दुश्वार हो गया है। सीवर में आधे फीट तक गड्ढे होने से वाहनों से हादसे की आशंका बनी है। 39 करोड़ खर्च, सड़कों की गिट्टियां उखड़ीं नगर निगम की शहर में 595 किमी सड़कें हैं। इसमें 91.27 किमी सड़कों को गड्ढामुक्त करना था। लेकिन 51.2 किमी सड़कों पर वरुणापार व आईपीडीपीएस के तहत हो रहे कार्यों की वजह से एनओसी नहीं मिलने की वजह से कार्य नहीं कराया जा सका है। 39.78 किमी सड़कों को गड्ढामुक्त करने के लिए 4.23 करोड़ रुपये खर्च किए गए। हादसे को दावत दे रहा मेनहोल ककरमत्ता फ्लाईओवर के नीचे कई माह से खुला मेनहोल हादसे को दावत दे रहा है। फ्लाईओवर से दो पहिया व चार पहिया वाहनों का 24 घंटे आवागमन होता है, लेकिन पीडब्ल्यूडी ने कभी ध्यान नहीं दिया। आसपास के लोगों ने हादसे के बचने के लिए लोगों को सतर्क करने के लिए प्रतीक रूप में मेनहोल में डंडे डालकर छोड़ दिए हैं।